पिता-बेटे समेत इन सीटों पर टिकी सबकी निगाहें, क्या दल बदल की राजनीति पहुंचाएगी फायदा?

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देहरादून : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुका है। निर्वाचन आय़ोग समेत पुलिस और जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है। शांकिपूर्वक चुनाव सम्पन्न हो चुका है। हरीश रावत ने दावा किया है कि उनकी पार्टी 48 सीटें हासिल करेगी तो वहीं भाजपा इस बार 60 के पार का दावा कर रही है। खैर इसका पता 10 मार्च को लग जाएगा। लेकिन इससे पहले कई ऐसी सीटें हैं जिन पर सबकी निगाहे हैं। इस बार उत्तराखंड में और चुनाव से पहले दल बदल की राजनीति देखने को मिली थी। जो कांग्रेस में था वो बीजेपी का हो चला जो बीजेपी का था वो कांग्रेसी हो चला। और ऐसा नहीं है कि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी ने कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को तुरंत टिकट भी दिया। इन्ही पर अब सबकी निगाहें टिकी है कि क्या दल बदल की राजनीति इन नेताओं को फायदा दिला पाएगी


पहली सीट पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंदिर हृद्येश के गढ़ हल्द्वानी, जहां इस बार उनके बेटे सुमित चुनाव मैदान में उतरे। सबकी निगाहें हल्द्वानी सीट पर टिकी है। क्या वो जीत हासिल कर पाएंगे और क्या मां की राजनीति विरासत सुमित हृद्येश चला पाएंगे?

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दूसरी सीट है टिहरी सीट. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय इस बार भाजपा के टिकट से प्रत्याशी है। जबकि पिछली बार भाजपा के टिकट से जीते विधायक धन सिंह नेगी कांग्रेस के उम्मीद हैं।


तीसरी सीट है नैनीताल, जहां महिला कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य ने भाजपा का दामन थामा। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो पिछली बार भाजपा से चुनाव जीते संजीव आर्य इस बार कांग्रेस के पाले से चुनाव मैदान में है।

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चौथी सीट है बाजपुर, जहां से नैनीताल से विधायक संजीव आर्य के पिता पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य भी अपनी पुरानी सीट बाजपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार भाजपा से जीते यशपाल आर्य इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार है।


पांचवी सीट है नरेंद्रनगर सीट जहां पर पूर्व भाजपा नेता पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत इस बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।

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