वन विभाग में अक्सर खैर सागौन, साल समेत कई बेशकीमती लकड़ियों को तस्कर वन विभाग की लापरवाही एवं मिलीभगत से जंगलों से काट लेते हैं उसके बाद कुछ आरा मशीनों की संलिप्तता से इसे भारी रकम के साथ सौदा कर आगे बढ़ा दिया जाता है जिससे अवैध लकड़ी के साथ ही संपदा का नुकसान होता है।
इस वन संपदा से वन निगम के अलावा सरकार को कोई राजस्व नहीं मिल पाता है यह राजस्व तस्करों बेईमान बन कर्मियों और आरा मालिकों में आपस में बढ़ जाता है वन विभाग इसके बाद कार्यवाही के नाम पर कमेटियां बनाता है और कुछ दिनों के लिए जिम्मेदार लोगों को सस्पेंड कर दिया जाता है उसके बाद फिर इन लोगों को दोबारा जांच में लीक प्वाइंट छोड़कर वापस विभाग से जोड़ दिया जाता है यह क्रम चलता रहता है ।लेकिन इसी बीच कुछ ईमानदार लोगों द्वारा प्रयास भी किए जाते हैं लेकिन यह प्रयास इन बेईमान तस्करों अफसरों की कारगुजारी के सामने चींटी जैसा प्रयास जरूर है लेकिन ऐसे वन कर्मी कई बार इन तस्करों के हम लोग का शिकार भी होते हैं ।
फिलहाल एक मामला रामनगर के पूर्वी गैबुआ बीट बैलपड़ाव राजि से आया है जहां गश्त के दौरान आरे की आवाज सुनाई देने पर वन रक्षक मोहित रावत द्वारा हमराही गुरदेव सिंह वन दरोगा,बसंत पंत,हीरा पांडेय ,धन सिंह राणा व अन्य कर्मचारियों के साथ सागौन वृक्ष का अवैध पातन कर मुछान कर रहे दो व्यक्तियों गुरुमुख सिंह उर्फ गुलशन पुत्र जीत सिंह व बलकार सिंह उर्फ बिल्ला पुत्र हरवंश सिंह निवासी इटववा(बन्नाखेड़ा)को मय आरे व 6 अदद सागौन लट्ठों के धर दबोचा।मौके पर पाई गई खूंट से प्रकाष्ठ का मिलान करने पर सही पाया।बरामद प्रकाष्ठ का बाजार मूल्य करीब 40000 रुपया आंका गया जिसे मौके पर ही बरामद कर लिया गया।बैलपड़ाव से भेजी गई टीम की सहायता से दोनों अभियुक्तों व बरामद प्रकाष्ठ को अभिरक्षा ने लिया गया।मौके पर फर्द तैयार की गई।भारतीय वन अधिनियम की धारा 26 के अंतर्गत वन क्षेत्र में अवैध प्रवेश कर, वन संपदा को क्षति पहुचाने व वन उपज की चोरी का अपराध कारित किये जाने पर सम्बन्धित के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाने की कार्यवाही की जा रही है।