गेठिया गांव से शुक्रवार की रात मां को लेकर खुद ही अस्पताल आया था बेटा
शनिवार की सुबह बाजार गया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल में लाया पेट्रोल
लाइटर से आग लगाने से पहले नर्सों व डाक्टर ने युवक को पकड़ा
हल्द्वानी न्यूज़- नैनीताल जिले के ग्राम गेठिया निवासी मोहन सिंह ने डा. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल (एसटीएच) की इमरजेंसी में भर्ती मां को जिंदा फूंकने का प्रयास किया। उसने मां पर पेट्रोल उड़ेल दिया और लाइटर जलाकर आग लगाने को दौड़ पड़ा।
गनीमत रही डाक्टर, नर्सों व तीमारदारों ने उसे पकड़ लिया। बेटा खुद ही शुक्रवार की रात मां को उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा था। शनिवार की सुबह उसने दुस्साहस किया। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार ग्राम गेठिया, नैनीताल निवासी 67 वर्षीय गीता देवी कुछ दिन से बीमार हैं। उन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत थी। साथ ही वह आंख कम देखती हैं। शुक्रवार रात को ज्यादा तबीयत खराब होने पर उनका बेटा मोहन सिंह एसटीएच लेकर पहुंचा और इमरजेंसी में भर्ती करवा दिया।
शनिवार की सुबह मोहन मां से बाजार जाने की बात कहकर निकला। पूर्वाह्न 11 बजे लौटा तो उसके हाथ में आधा लीटर वाली कोल्ड्र ड्रिंक की बोतल थी। जिसमें पेट्रोल भरा हुआ था। जोर से चिल्लाते हुए उसने मां के ऊपर पेट्रोल की पूरी बोतल उड़ेल दी और लाइटर जलाते हुए आग लगाने को दौड़ा। इसी बीच अस्पताल में आई तीमारदार व मोहन की बुआ धना देवी ने शोरशराबा कर दिया।
नर्सों, डाक्टर व तीमरदारों ने उसे पकड़ लिया। इसके बाद कमरे में बंद कर पुलिस को सूचना दी। कोतवाल उमेश कुमार मलिक अस्पताल पहुंचे और आरोपित को हिरासत में लिया। उससे पूछताछ की गई। उसके विरुद्ध प्राथमिकी करने की तैयारी की जा रही है।
माता-पिता बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करते। मां पहले गर्भ में पालती है। इसके बाद जब तक जीवित रहती बच्चों को लाड प्यार देती है। मगर मोहन सिंह की मां बीमार हुई तो वह परेशान होने लगा। उसे मां की बीमारी पर तरस नहीं आया। शनिवार को उसने जब मां को जिंदा फूंकने का प्रयास किया तो बोला, कि मैं तेरी बीमारी से परेशान हो चुका हूं।
गीता देवी के पति की कुछ सालों पहले मृत्यु हो चुकी है। मोहन उनका इकलौता बेटा है। जो गेठिया गांव में रहकर मजदूरी करता है। गीता की ननद धना देवी ने बताया कि चार दिन पूर्व गीता को बीडी पांडे में आंख के उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। डाक्टर ने शुगर अधिक होने पर आंख का आपरेशन करने से मना कर दिया था।
इमरजेंसी के अंदर मां पर पेट्रोल उड़ेल कर मोहन सिंह ने कई मरीजों व तीमारदारों की जान को खतरे में डाला। इमरजेंसी में आग लगती तो बड़ी दुर्घटना होती। क्योंकि कई उपकरण रखे हुए थे। मरीज, तीमारदार व नर्सों से इमरजेंसी पैक थी।