न्यायालय से जमानत पर बाहर हैं एलाइंस बिल्डर के कई निदेशक
घर, कार्यालय और कई प्रोजेक्ट पर लगी है बरेली जिला प्रशासन की सील
बड़ा सवाल : कहीं अब उत्तराखंड के भोले-भाले लोगों को ठगने की कोशिश तो नहीं
एफएनएन, रुद्रपुर : योगी सरकार के रडार पर चल रहे एलाइंस बिल्डर ने अब उत्तराखंड में डेरा डाल दिया है। यूपी से भगोड़े और गैंगस्टर में निरुद्ध इस कंपनी के कई निदेशक इन दोनों रुद्रपुर में शरण लिए हुए हैं। उन्होंने यहां ‘ एलाइंस मैनचेस्टर ‘ नाम से आवासीय कॉलोनी भी लॉन्च कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बिल्डर की नजर अब उत्तराखंड की तिजोरी पर है ? क्या वह यहां के सीधे-साधे लोगों को यूपी की तरह अपने जाल में फंसा रहे हैं, साथ ही बड़ा सवाल यह भी है कि जिस भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस बिल्डर को अपने राज्य से भगाया हो, उसे उत्तराखंड में किसकी शह पर जगह मिल गई।
उत्तर प्रदेश के बरेली का चर्चित एलाइंस बिल्डर पिछले 2 साल से सुर्खियों में है। लोगों की जमीन पर अनाधिकृत रूप से कब्जे और सरकारी जमीनों पर कब्जा कर उन्हें बेचने के मामले में यूपी सरकार इस बिल्डर को रडार पर ले चुकी है। बरेली में ढोल नगाड़ों के साथ पुलिस इस बिल्डर की डेढ़ सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। कोठी, कार्यालय, पेट्रोल पंप, निर्माणाधीन वार, लॉन और होटल वगैरहा सील और कुर्क किए जा चुके हैं। निदेशक समेत 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज होने के साथ ही डायरेक्टर रमनदीप, अमनदीप के अलावा सर्वेश कुमार, तलविंदर सिंह, हनी कुमार भाटिया, जुल्फिकार अहमद और सलीम अहमद को भू माफिया घोषित करने के साथ ही गैंगस्टर की कार्रवाई भी की जा चुकी है। इनमें कई लोग गिरफ्तार भी हो चुके हैं जबकि कई जमानत पर बाहर हैं। fir में नामजद एक डायरेक्टर रुद्रपुर प्रोजेक्ट में सिरमौर बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश से यह सभी भूमिगत हैं। पुलिस को उनकी तलाश है और दर्ज मुकदमों पर तेजी से कार्रवाई चल रही है।
इस बीच अब रुद्रपुर में किच्छा रोड से सटी रिंग रोड के किनारे इस बिल्डर द्वारा ऊंचे दामों पर प्लॉट बेचे जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि बरेली जिला प्रशासन की निगाह इस प्रोजेक्ट पर है और यहां धामी सरकार भी एक्शन ले सकती है। अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड के भोले-भाले लोगों का पैसा डूबना तय है।
बरेली में एक के बाद एक कर दर्ज हुए डेढ़ दर्जन मुकदमे
यूपी के बरेली जिले के इज्जतनगर थाने के बिहारमान नगला में सीलिंग की जमीन को धोखाधड़ी कर खरीदने और बेचने के मामले में एलायंस बिल्डर्स के निदेशकों पर पहली कार्रवाई की गई थी। एक मुकदमा दर्ज होने के बाद कई और मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज होते गए। बीडीए ने 13 नवंबर 2022 को इज्जतनगर थाने में हनी कुमार भाटिया समेत 17 लोगों पर रिपोर्ट कराई थी। विवेचना में एलायंस बिल्डर्स के एमडी अरविंदर सिंह बग्गा, निदेशक रमनदीप सिंह, अमनदीप व युवराज को भी इसमें नामजद किया गया था। कुछ दिन बाद कैंट थाने में रमनदीप, अमनदीप, अरविंदर सिंह, हनी भाटिया, सतवीर सिंह और युवराज सिंह के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई कर उनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी के सख्त रुख से प्रशासन की कार्रवाई और तेज हुई और एलाइंस के निदेशकों पर शिकंजा कसता गया और उनकी संपत्तियां कुर्क होती रहीं।
ऐसे शुरू हुई थी भू-माफिया बिल्डर पर कार्रवाई, कब्जा धारक को मारपीट कर भगा दिया था
बरेली के टीबरी नाथ निवासी सियाराम मंडल ने आरोप लगाया था कि एलाइंस बिल्डर के निदेशक रमनदीप सिंह, अमनदीप सिंह और उनके पांच सहयोगियों ने एकराय होकर राजनीतिक संरक्षण में जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। कई बैनामे भी कराए हैं, जिनका अधिकारियों से साठगांठ कर फर्जी तरीके से अमल दरामद कराया गया और बीडीए से नक्शा पास करा लिया गया। आरोप लगा था कि रमनदीप सिंह ने रेरा में भी रजिस्ट्रेशन कराकर अपने भांजे को एल्डिको सिटी का निदेशक बना दिया। यह आरोप भी था कि रमनदीप सिंह ने एलायंस रेजिडेंसी लिमिटेड और कंपनी एल्डिको इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड प्रॉपर्टीज लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम कर जमीन पर एल्डिको सिटी बसाई। एल्डिको सिटी में स्टांप पर मकान बेचे जाने की बात भी सामने आई थी। प्रशासन ने जांच की तो पता लगा कि गांव बिल्वा में गाटा नंबर 476, 477, 506, 509, 512 और 513 की जमीन ठाकुर जगमोहन सिंह पुत्र उमराय सिंह के नाम थी। 19 सितंबर 1973 को जगमोहन की मृत्यु हो गई। उनका कोई वारिस नहीं था। सियाराम ही उनकी सेवा करते थे जिससे खुश होकर जगमोहन सिंह ने मृत्यु से पहले ही सात मई 1973 को उनके नाम वसीयत कर दी थी। तब से वह आराजी पर बटाई में खेती कराते थे। उनके बटाईदार को भी भूमाफिया एलाइंस बिल्डर ने मारपीट कर भगा दिया था।
बड़ा सवाल : योगी की तरह धामी सरकार भी एक्शन लेगी ?
भूमाफियाओं का साम्राज्य खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सख्त कदम उठाए हुए हैं। यही कारण है कि वहां से भू माफिया अब उत्तराखंड की शरण लेने लगे हैं। यहां के भोले-भाले और सीधे-साधे लोगों को ठगने का कुचक्र चल रहा है। सवाल उठता है कि क्या योगी सरकार की तरह ही अब धामी सरकार भी इस मामले में कोई निर्णय लेगी।