पक्षी हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं-नेगी

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शहरीकरण, प्रदूषण और टावर विकिरण के कारण पक्षियों को आवास बनाने, अपने अंडे देने उनका लालन पालन करने पर संकट खड़ा हो गया है।
ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उनके लिए घोंसले लगाएं। इसी क्रम में राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर पक्षी प्रेमी गुलाब सिंह नेगी द्वारा द्वारा विभिन्न मंदिर प्रांगणों में घोंसले लगाए गए।
हिम्मतपुर तल्ला स्थित त्रिमूर्ति देवी मंदिर, हरिपुरनायक स्थित शिव मंदिर, अलकनंदा कॉलोनी स्थित कालिका मंदिर में घोंसले लगाते हुए गुलाब सिंह नेगी ने लोगों से आग्रह किया कि मंदिरों में पक्षियों के लिए आवास व्यवस्था अवश्य बनाएं।

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भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी डॉ. सालिम अली के जन्मदिवस को भारत सरकार ने राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया गया था, तब से प्रत्येक वर्ष देश भर में 12 नवम्बर को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर श्री नेगी ने कहा कि पक्षी हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं, इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। हमें यह मालूम होना चाहिए कि पक्षियों के द्वारा फल खाकर दूर दूर तक उनके बीज फैलाने के कारण ही दुर्गम पहाड़ों, नदियों, झरनों, घाटियों आदि स्थलों पर झाड़ियां, इमारती लकड़ी के पेड़ पौधे और पूरा का पूरा जंगल उग जाता है। डीआरडीओ के सीनियर रिसर्च फेलो हरेंद्र कुमार ने कहा कि ये पक्षी पर्यावरणीय सुधार के संवाहक होते हैं। अपशिष्ट और प्रदूषण को समाप्त कर जीवनोपयोगी वातावरण बनाते हैं।
गुलाब सिंह नेगी की इस मुहिम की सराहना करते हुए एमबीपीजी के पूर्व प्राध्यापक डॉ सन्तोष मिश्र ने शहर के पक्षीप्रेमियों को सहयोग करने का आग्रह किया।
पुजारी आचार्य योगेशचंद्र जोशी ने कहा कि हमारे धर्मग्रंथों में पक्षियों को बहुत आदर योग्य माना गया है। उनके आवास, दाना पानी की व्यवस्था करना अत्यंत पुण्यदायी कार्य है। इस मौके पर आचार्य भुवन चंद्र जोशी, नीरज तिवारी, प्रमोद जोशी, सुभाष जोशी, महेंद्र बिष्ट, मोहन सिंह, बृजेश जोशी, पीतांबर जोशी आदि मौजूद रहे है।

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