लालकुआं। लंबी प्रतीक्षा के बाद रविवार की प्रातः वन विभाग के अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने गौला नदी के गोरापड़ाव गेट से खनन चुगान सत्र की शुरुआत की है। इसी के साथ गौला नदी के 11 गेटों में से गोरापड़ाव, आवला चौकी, राजपुरा और शीशमहल गेट आज से खनन निकासी को शुरू कर दिया गया हैं। और एक सप्ताह के भीतर अन्य निकासी गेटों को भी खनन शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि गौला नदी के 11 गेटों में हजारों वाहन पंजीकृत है, और 10 हजारों मजदूरों को यहां रोजगार मिलता है। एक प्रकार से यह नदी नैनीताल जनपद सहित कुमाऊं का आर्थिक चक्र भी चलाती है। वैसे गौला नदी को नवंबर में खुल जाना था लेकिन इस बार विलंब से जनवरी के प्रथम सप्ताह में खनन कार्य शुरू हो रहा है। गोला निकासी शुभारंभ करने के दौरान मुख्य रूप से वन विकास निगम के महाप्रबंधक गिरजा शंकर पांडे वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक धीरज पांडे, वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक कुमाऊं मयंक शेखर झा, तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बंगड़ी, उप जिलाधिकारी हल्द्वानी परितोष वर्मा, वन क्षेत्राधिकारी गौला चंदन अधिकारी समेत भारी संख्या में वन विभाग, वन विकास निगम के अधिकारी मौजूद थे।
इधर गौला नदी एवं नंदौर से खनन निकासी शुरू हो जाने के बावजूद पहले दिन जहां नंदौर नदी के भीतर कोई भी वाहन नहीं घुसा, वही गौला नदी के चार गेटों में महज चार वाहन ही खनन सामग्री लेने पहुंचे, इस संबंध में क्षेत्र के खनन व्यवसायियों से वार्ता करने पर उन्होंने बताया कि वर्तमान में स्टोन क्रशर संचालकों द्वारा उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते वाहन चलाने में कोई फायदा नहीं है, फिलहाल खनन व्यवसायियों ने अपने वाहन खड़े ही रखने का निर्णय लिया है, यदि भविष्य में क्रेशर संचालकों की मनमानी पर लगाम लगा तो व्यवसाय शुरू करेंगे