बटर चिकन पर दावेदारी को लेकर दो रेस्तरां चेन मोतीमहल और दरियागंज रेस्टोरेंट के बीच अदालती लड़ाई और तीखी हो गई। इस मामले में नए साक्ष्यों के तौर पर दशकों पुराने कुछ फोटोग्राफ और वीडियो पेश किए गए हैं। बटर चिकन की ईजाद दिल्ली के रेस्तरां में हुई या ये लजीज व्यंजन पेशावर से यहां पहुंचा, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में 29 मई को सुनवाई होनी है।
मोतीमहल और दरियागंज रेस्टोरेंट के बीच बटर चिकन को लेकर छिड़ी लड़ाई जनवरी में हाईकोर्ट में पहुंची थी। मोतीमहल ने अपने वाद में कहा कि इस करी पर दावेदारी का अधिकार सिर्फ उसे ही है। उसके मुताबिक, मोतीमहल के संस्थापक कुंदनलाल गुजराल ने दिल्ली आने से पहले 1930 के दशक में पेशावर के एक भोजनालय में क्रीम से भरपूर यह डिश तैयार की थी।
मोतीमहल का कहना है कि प्रतिवादी दरियागंज रेस्टोरेंट चेन को इस व्यंजन पर दावा जताना बंद करना चाहिए। इसके साथ ही उसने दरियागंज रेस्टोरेंट पर 2.4 लाख डॉलर का हर्जाना भी ठोका है। कोर्ट ने इस मामले में दरियागंज रेस्टोरेंट से जवाब मांगा था। इस पर उसने 642 पेज का जवाबी हलफनामा दिया है। दावा किया कि इसकी स्थापना करने वाले परिवार के सदस्य कुंदन लाल जग्गी ने इस व्यंजन को सबसे पहले दिल्ली में बनाया था।
दरियागंज रेस्टोरेंट की तरफ से दायर साक्ष्यों को सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन इसमें एक 1930 के दशक की श्वेत-श्याम तस्वीर है। पेशावर में खिंचाई गई इस तस्वीर में दोनों दोस्त नजर आ रहे हैं। इसके अलावा 1949 का साझेदारी समझौता और दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद जग्गी का बिजनेस कार्ड और 2017 का उनका एक वीडियाे शामिल है। इसमें उन्होंने यह व्यंजन ईजाद किए जाने के बारे में बताया था।