





नैनीताल।
नैनीताल जिले में शिक्षा क्षेत्र में एक बार फिर से विवाद की लहर दौड़ गई है। शैक्षिक सत्र 2025-26 के आरंभ से पहले, निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों से अत्यधिक शुल्क वसूली, कैपिटेशन शुल्क और महंगी पुस्तकों के दबाव के मामले उभर कर सामने आ रहे हैं। इस पूरी घटना में सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष जोशी ने अभिभावकों के शोषण के खिलाफ जोरदार रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यदि आवश्यक हुआ तो न्यायालय की दहलीज भी पार की जाएगी।
पिछले वर्ष का नोटिस – एक असफल प्रयास
दिनांक 13 दिसम्बर 2023 को खण्ड शिक्षा अधिकारी, हल्द्वानी (नैनीताल) द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी की शिकायत पर नोटिस जारी कर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुच्छेद 13 के अंतर्गत कैपिटेशन शुल्क, कॉशन मनी एवं अन्य अवैध शुल्क वसूली पर रोक लगाने का स्पष्ट आदेश दिया गया था। नोटिस में यह निर्देश दिया गया था कि इन शुल्कों के तहत किसी भी अनियमितता की स्थिति में कैपिटेशन शुल्क का दायरा दस गुना तक तथा अन्य शुल्कों पर पहले बार 25,000 रुपये और पुनरावृत्ति पर 50,000 रुपये तक का आर्थिक दंड लगाया जाएगा। हालांकि, इस नोटिस के बावजूद कई निजी विद्यालयों में अनियमितताओं को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सका, जिससे अभिभावकों और छात्रों में असंतोष और नाराजगी में वृद्धि हुई।
नए सत्र के लिए प्रशासनिक निर्देशों की बौछार।
मार्च 2025 में, शिक्षा विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए दो महत्वपूर्ण नोटिस जारी किए। कार्यालय खण्ड शिक्षा अधिकारी, हल्द्वानी (नैनीताल) का पत्रांक 33/1-22 (निजी विद्यालय/2024-25) में नवीन शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए गए। इस नोटिस में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को अनिवार्य बताया गया:
टी.सी. सत्यापन और अभिलेख प्रबंधन:
प्रत्येक विद्यालय को छात्र-छात्राओं के टी.सी. सत्यापन के लिए एस.आर. पंजिका अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय से जुड़कर प्रमाणिक अभिलेख प्रस्तुत करने होंगे। इससे छात्रों के प्रवेश और ट्रांजेक्शन की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
शुल्क पारदर्शिता:
सभी शुल्क – ट्यूशन फीस, कैपिटेशन शुल्क, कॉशन मनी एवं अन्य शुल्क – का विवरण विद्यालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, शुल्क में अनावश्यक वृद्धि से बचने के लिए सख्त निगरानी रखने का निर्देश भी जारी किया गया।
पाठ्यपुस्तकों का मानकीकरण:
उच्च न्यायालय के आदेश (याचिका संख्या/3302/2017, दिनांक 13 अप्रैल 2018) के अनुरूप, विद्यालयों में केवल एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि किसी छात्र हित में अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें अपनाई जाती हैं, तो उनका मूल्य एनसीईआरटी पुस्तकों के समकक्ष होना अनिवार्य होगा। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में नियमानुसार अग्रेत्तर कार्रवाई की जाएगी।
आरटीई मानकों, सर्वोच्च न्यायालय के 24 गाइडलाइन बिंदुओं एवं बाल संरक्षण अधिनियम के दिशा-निर्देश:
विद्यालयों को इन सभी मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा। इसके अतिरिक्त, मान्यता नवीनीकरण, सोसायटी नवीनीकरण आदि प्रशासनिक कार्यों को भी निर्धारित समयसीमा में पूरा करने का निर्देश दिया गया।
उच्चाधिकारियों की ओर से स्पष्ट संकेत
निदेशक, माध्यमिक शिक्षा उत्तराखण्ड (देहरादून) ने एक अन्य विस्तृत नोटिस जारी करते हुए शासनादेश संख्या 586/XXIV-3/17/01 (11) 2007 और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड नई दिल्ली की अधिसूचना दिनांक 18.10.2018 का हवाला देते हुए निर्देश जारी किए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया कि किसी भी छात्र के प्रवेश के बाद पुनः प्रवेश शुल्क या काशन मनी के नाम पर कोई अतिरिक्त राशि नहीं ली जानी चाहिए, और यदि ऐसा किया गया तो तुरंत अभिभावकों को वापस कराना होगा। साथ ही, विद्यालयों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अध्यापकों की योग्यता, शैक्षणिक उपलब्धियां, पर्यावरण शिक्षा के प्रयासों एवं अन्य प्रासंगिक जानकारी को 15 सितम्बर तक वेबसाइट पर प्रकाशित करना अनिवार्य किया गया है।
मुख्यशिक्षा अधिकारी ने जारी की शिकायत करने के लिए ईमेल व हेल्पलाइन।
मुख्य शिक्षा अधिकारी, नैनीताल ने आज ही एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें सभी अभिभावकों को सूचित किया गया कि शैक्षिक सत्र 2025-26 के दौरान यदि किसी भी निजी विद्यालय में फीस, पुस्तक मूल्य या अन्य किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज की जाती है, तो वे अपनी शिकायत संबंधित ई-मेल आईडी ([email protected] एवं [email protected]) पर दर्ज कर सकते हैं।
पीयूष जोशी का कड़ा रुख और न्याय की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष जोशी ने इस पूरे विवाद में स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि अभिभावकों का शोषण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि निजी विद्यालयों द्वारा शुल्क वसूली, महंगी पुस्तकों के दबाव और अन्य अनियमितताओं को रोका नहीं गया तो आवश्यकतानुसार न्यायालय की दहलीज भी पार की जाएगी। जोशी का मानना है कि इन अनियमितताओं को प्रशासनिक नोटिसों तक सीमित न रख कड़ी जांच, औचक निरीक्षण और दंडात्मक कार्रवाई के माध्यम से समाप्त किया जाना चाहिए,ऐसा न होने पर अभिभावकों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन किया जाएगा।