लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने हरिद्वार सीट से उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने हरिद्वार लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को मैदान में उतारा है। वीरेंद्र रावत को टिकट दिलाने में पिता की भूमिका अहम रही। पिता हरीश रावत अपने बेटे के लिए टिकट की पैरवी कर रहे थे।
वीरेंद्र रावत पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के बड़े बेटे हैं। वीरेंद्र रावत का जन्म 15 मार्च 1975 में हुआ। उनकी शिक्षा एमकॉम राजनीति दयाल सिंह कॉलेज से पूरी हुई। कॉलेज के दिनों से ही उनके राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई। साल 1996-97 नई दिल्ली छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इसके साथ ही वो यूथ कांगेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। वर्तमान में वीरेंद्र रावत कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
साल 2022 में भी विधानसभा चुनाव लड़ने की थी इच्छा
वीरेंद्र रावत यूथ कांग्रेस से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। वीरेंद्र रावत के इस बार के लोकसभा चुनावों में पहली बार चुनाव लड़ेंगे। इस से पहले भी साल 2022 में भी वो विधानसभा चुनावों के लिए खानपुर से चुनावी तैयारी कर रहे थे।
लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। जिसका कारण ये था कि उनके पिता हरीश खुद लालकुआं से और उनकी बहन अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से प्रत्याशी थे। जिस कारण रावत परिवार के तीसरे सदस्य को टिकट नहीं मिल पाया और वीरेंद्र रावत चुनाव नहीं लड़ पाए।
हरदा ने बेटे को सौंपी राजनैतिक विरासत
वीरेंद्र रावत का नाम दावेदारों की लिस्ट में पहले से ही थी। जहां एक ओर कांग्रेस का एक धड़ हरीश रावत को चुनाव लड़ाने के समर्थन में था तो वहीं दूसरी ओर हरीश रावत खुद अपने बेटे को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे।
अपनी सेहत और वीरेंद्र की उम्र के साथ ही सक्रियता को देखते हुए हरीश रावत अपनी राजनैतिक विरासत अपने बेटे को सौंपने की पैरवी कर रहे थे। उनकी मजबूत पैरवी के कारण पार्टी आला कमान को हरदा की बात पर मुहर लगानी पड़ी