गंगा दशहरा : प्रयागराज से हरिद्वार तक स्नान के लिए श्रद्धालुओं का लगा तांता

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हरिद्वार/प्रयागराज। पतितपावनी और मोक्षदायिनी मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के तौर पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज यानी 30 मई 2023 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है और इस खास मौके पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है। देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा दशहरा के अवसर पर भारी तादात में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। आज गंगा दशहरा पर्व के मौके पर धर्मनगरी हरिद्वार में हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आधी रात के बाद से ही यहां पर स्नान करने के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। भक्तों का सैलाब पतितपावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए गंगा तट पर उमड़ा है।पुलिस-प्रशासन ने संपूर्ण मेला क्षेत्र को चार सुपर जोन, 16 जोन और 38 सेक्टर में बांटा है। व्यवस्था और सुरक्षा में भारी पुलिस बल लगाया गया है। प्रशासन ने गंगा दशहरा के पर गंगा स्नान को जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और आमजन को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए किए रुट को डायवर्ट कर दिया है। साथ ही प्रशासन में किए रास्तों पर भारी वाहन का प्रवेश बंद कर दिया है। यात्रियों की संख्या को देखते हुए यातायात पलान भी लागू किया है। भारी और बड़े वाहनों को प्रतिबंधित किया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकलते हुए धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने गंगा जी को आशीर्वाद दिया कि गंगा तुम्हारे दर्शन से प्राणी मात्र की मुक्ति हो जाएगी। यही वजह है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान, पूजन और दर्शन का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो 10 प्रकार के पापों को हरण करता है उसी को दशहरा कहा गया है।
प्रयागराज। ज्येष्ठ दशहरा मेले में डुबकी लगाकर पुण्यार्जन को बाहरी प्रांतों समेत आस पास के जिलों के लाखों के पड़ाव डालने के बाद भी भक्तों का आगमन जोरों पर चल रहा है। गंगा स्नान मेले में डुबकी लगाने की तमन्ना लेकर आ रहे भक्तों की तादाद तेजी के साथ बढ़ती जा रही है, जिससे गढ़ और ब्रजघाट स्टेशन पर ठहरने वाली ट्रेनों समेत रोडवेज बस गंगा भक्तों से खचाखच भरकर आ रही हैं। मंगलवार सुबह ब्रह्म काल में आस्था की डुबकी लगाई जाएगी। सोमवार शाम तक ब्रजघाट में दो लाख से भी अधिक भक्तों के पड़ाव डाल चुके हैं। जाम से निपटने के भी इंतजाम कर लिए गए हैं। भारत की जीवनधारा के साथ ही मोक्षदायिनी व जीवनदायिनी के नाम से सुशोभित गंगा नदी के अवतरण दिवस यानी गंगा दशहरा का पर्व उत्तर प्रदेश में काफी धूमधाम ने मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण काल के कारण दो वर्ष तक तमाम पाबंदियों के कारण गंगा दशहरा मनाने से वंचित लोगों इस बार हापुड़ से लेकर वाराणसी तक गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाई है।बिजनौर, बदायूं, गढ़मुक्तेश्वर के साथ ही फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर तथा वाराणसी में लोग तड़के ही गंगा नदी के तट पर एकत्र हो गए और पुण्य की डुबकी लगाई। वाराणसी में गंगा दशहरा पर श्रद्धालु बड़ी संख्या उमड़े। बदायूं में कछला घाट पर गंगा नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा दशहरा पर्व पर स्नान किया। इसके बाद पूजा-पाठ तथा दान-पुण्य का सिलसिला चला। आज 12 बजे तक स्नान-दान का विशेष मुर्हूत है। मां गंगा राजा भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति देने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को गंगा दशहरा पर पूर्वजों के निमित्त पूजन करना चाहिए। इसमें क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा, निंदा और चोरी के भाव का नाश करने का संकल्प लेकर कम से कम दस डुबकी लगानी चाहिए। स्नान, ध्यान और तर्पण करने से शरीर शुद्ध और मानसिक विकारों से मुक्त हो जाता है। साथ ही फल, सत्तू में देशी घी मिलाकर, गुड़ के पिंड जल में प्रवाहित करने से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। फल, सत्तू, जल भरा घड़ा, छाता का दान करना चाहिए

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