किच्छा। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री व प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेश डॉ० गणेश उपाध्याय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उत्तराखंड सरकार ने गन्ना किसानों को फिर से ठगा है। इस वर्ष गन्ने का समर्थन मूल्य एक रु० भी नहीं बढ़ाया गया है। विगत 5 साल में महंगाई में 50 फीसदी बढ़ चुकी है, डीजल के दामों में 25रु० की वर्तमान में बढ़ोत्तरी हो चुकी है। किसानों को खेती के लिए बीज , खाद, दवाई, बुवाई, जुताई, कटाई, मजदूरी के दामों में भारी बढ़ौत्तरी हो चुकी है। किसान, व्यापारी, बेरोजगार, आम गृहणी सभी बुरी तरह इस महंगाई से त्रस्त और परेशान हैं। बेरोजगार 5 साल से सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे है, पर सरकार पेपर लीक घोटाले में लिप्त है। विधायकों का वेतन 3 गुना बढ़ा दिया गया है, तमाम सुविधाएं, भत्ते, पेंशन बढ़ाकर उसका बोझ गरीब जनता पर डाल दिया गया है। आम आदमी मंहगाई के बोझ से दबा जा रहा है। किसान प्रति एकड़ गन्ना बुवाई पर 14000 रु ,गन्ना बीज 15000 रु ,गन्ना बीज शोध दवाई खाद पर 7000 रु,गन्ना बुवाई लेबर पर 8000 रु,निराई और सिंचाई पर 9000 रु ,सिंचाई पर 5000 रू दवाई और खाद पर 18000 रु देखरेख पर 2000 रु, कटाई पर 17000 रु, ठुलाई पर 10000 रु० सहित कुल लगभग 1 लाख रु० प्रति एकड़ का खर्च गन्ना फसल पर आता है। इस से किसाब को प्रति एकड़ मात्र 17000 रु की बचत होती है। जबकि किसान साल भर अपने गन्ने के खेत में समय देता है, उसकी मेहनताई नहीं है। यदि किसान जमीन किराये पर देता है, तो किसान को बचत होने की जगह 35000 रु० प्रति एकड़ का नुक़सान होता है अर्थात गन्ना फसल पर किसान को 100रु प्रति कुंतल का नुक़सान हो रहा है। जिससे किसान गन्ना फसल से दूरी बना रहा है और गन्ने का रकबा घटता जा रहा है। उत्तराखंड के 2.28 लाख गन्ना किसान बेसब्री से मूल्यवृद्धि का इंतजार कर रहे थे। सरकार ने उन्हें निराश किया। आज गन्ने का मूल्य कम से कम 500 रुपये कुंतल होना चाहिए लेकिन सरकार ने इसमें एक पैसा भी नहीं बढ़ाया। यह सरकार किसानों की मित्र नहीं बल्कि शत्रु है। सरकारी नीतियों की वजह से खेती की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। खेती के लिए जरूरी हर चीज महंगी होती जा रही है।
उत्तराखंड सरकार ने गन्ना किसानों का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया जबकि 50 फ़ीसदी महंगाई बढ़ चुकी है पूर्व दर्जा मंत्री कांग्रेस प्रवक्ता डॉ गणेश उपाध्याय
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