हल्द्वानी – सरकारी रास्ते को ही भूमाफियाओं ने नौ लोगों को बेच दी,15 बरसों के बाद मुकदमा दर्ज

Ad
खबर शेयर करें -

उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में एक चौंकाने वाला लैंड फ्रॉड सामने आया है, जिसने न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि आम लोगों और सेना के जवान की मेहनत की कमाई के साथ खुलेआम धोखाधड़ी को उजागर किया है। मामला हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र के रामड़ी आनसिंह इलाके का है, जहां भू-माफियाओं ने विभागीय मिलीभगत से एक सरकारी सड़क को रिहायशी प्लॉट दिखाकर नौ लोगों को बेच डाला।

इस मामले का खुलासा करीब 14 साल बाद हुआ, जब पीड़ितों में से एक, कश्मीर में तैनात कुमाऊं रेजिमेंट के जवान ने इस घोटाले की शिकायत कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से की। जनसुनवाई के दौरान जवान द्वारा पेश की गई पूरी घटना ने प्रशासन को भी झकझोर दिया। कमिश्नर के निर्देश पर तुरंत मुखानी थाना पुलिस ने संबंधित प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

यह भी पढ़ें -  विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई : अमीन-अनुसेवक को किया रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

क्या है पूरा मामला?

वर्ष 2011 में कुमाऊं रेजिमेंट में कार्यरत जवान ने अपनी पत्नी के नाम पर रामड़ी आनसिंह क्षेत्र में 1900 वर्गफुट भूमि की रजिस्ट्री करवाई थी। जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद उन्होंने उस पर चारदीवारी भी करवाई और हर छुट्टी में अपनी जमीन की देखभाल के लिए आते रहे।

लेकिन इस बार जब वह हल्द्वानी पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनकी जमीन पर तारबाड़ कर दी गई है और अब वह जमीन किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड हो चुकी है। इस बात की तह तक जाने के लिए जवान ने खेत नंबर के आधार पर दस्तावेजों की जांच की, तो चौंकाने वाला सच सामने आया जिस जमीन को उन्होंने खरीदा था, वह वास्तव में सरकारी रिकॉर्ड में एक सड़क है।

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी-समुदाय विशेष के युवक के साथ आपत्तिजनक हालत में मिली युवती, हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश

और यही नहीं, इस सड़क के अलग-अलग हिस्सों को 9 अन्य लोगों को भी रिहायशी प्लॉट बताकर बेच दिया गया था। इन सभी पीड़ितों में सेना के जवान के अलावा आम नागरिक भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई इन भूखंडों में निवेश की थी।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सवाल भी उठने लगे हैं कि प्रॉपर्टी डीलर अकेले इतनी बड़ी धोखाधड़ी कैसे कर सकते हैं? ज़ाहिर है कि इसमें राजस्व विभाग, नगर निगम और रजिस्ट्रार कार्यालय की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ रही है। यदि सड़क को प्लॉट के रूप में बेचा गया, तो इसका रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ? जमीन का नक्शा, भूमि रिकॉर्ड और अन्य जरूरी दस्तावेजों की जांच में यह तथ्य सामने क्यों नहीं आया?

अब कार्रवाई की तैयारी

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए। मुखानी थाना पुलिस ने संबंधित प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ धोखाधड़ी , जालसाजी और लैंड फ्रॉड की धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड -यहां विधवा भाभी को शादीशुदा देवर ने बनाया अपनी हवस का शिकार

पुलिस का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ने पर विभागीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कहीं और भी तो ऐसे मामले नहीं हैं।

हल्द्वानी में सामने आया यह लैंड फ्रॉड का मामला सिर्फ एक व्यक्ति या कुछ पीड़ितों का नहीं, बल्कि यह एक बड़े भू-माफिया नेटवर्क और उसमें विभागीय मिलीभगत की ओर इशारा करता है। जिस तरह से एक सरकारी सड़क को नकली दस्तावेजों के सहारे रजिस्ट्री कर बेचा गया, वह न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल है।

Advertisement

लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -

👉 हमारे व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ेसबुक पेज लाइक/फॉलो करें

👉 विज्ञापन के लिए संपर्क करें -

👉 +91 94109 39999