नैनीताल, उत्तराखंड: नैनीताल जिले में पत्रकारों के उत्पीड़न का मामला सामने आया है, जहां वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों को अनावश्यक नोटिस भेजकर उनका दमन किया जा रहा है। इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता संघ के अध्यक्ष पीयूष जोशी ने उत्तराखंड राज्य मानव अधिकार आयोग को शिकायत पत्र सौंपकर पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध जताया है।
पत्रकारों ने कल पुलिस उपमहानिरीक्षक, कुमाऊं रेंज को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल द्वारा पत्रकारों पर दबाव और भय का माहौल बनाने के लिए अनावश्यक नोटिस भेजने के खिलाफ विरोध जताया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह पहली घटना नहीं है, इससे पूर्व भी कई पत्रकारों को दबाव में लेने के लिए इस प्रकार के नोटिस दिए जाते रहे हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता संघ की कार्यवाही
आरटीआई कार्यकर्ता संघ के अध्यक्ष पीयूष जोशी ने उत्तराखंड राज्य मानव अधिकार आयोग को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजा, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा किए गए उत्पीड़न के खिलाफ विरोध जताया गया है। शिकायत पत्र में कहा गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा किए गए उत्पीड़न से पत्रकारों में भय का माहौल बन गया है, और वे संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने से डरने लगे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया हैं की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा किए गए उत्पीड़न से निम्नलिखित प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है:
- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341 और 342: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों को अनावश्यक नोटिस भेजकर उनका दमन किया गया है, जो कि गलत तरीके से कैद और प्रतिबंध है।
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 3: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न से मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
- पुलिस मैनुअल के अध्याय 12 और 13: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के साथ व्यवहार करने के लिए पुलिस मैनुअल के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दिशानिर्देशों के अनुच्छेद 1 और 2: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न से मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
- उत्तराखंड पुलिस अधिनियम की धारा 23: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के साथ व्यवहार करने के लिए पुलिस अधिनियम के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है।
पीयूष ने बताया कि राज्य मानवाधिकार आयोग से इस विषय पर वार्ता हुई है वह राज्य मानवाधिकार आयोग जल्द इस विषय की जांच डीआईजी कुमाऊं या डीजीपी उत्तराखंड पुलिस को सौंपेंगे वह पत्रकारों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर मानवाधिकार आयोग सख्ती से कार्यवाही करेगा।