तीन ट्रेनों की भीषण टक्कर, 288 मौत और 1000 से ज्यादा घायल, मिल रहे कटे हाथ-पैर, सैंकड़ों लोग फंसे

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ओडिशा में हुई तीन ट्रेनों की भीषण टक्कर में अभी तक 288 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। वहीं 1000 से ज्यादा लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई हैं। भारतीय रेलवे में यह सबसे बड़ा हादसा माना जा रहा है। इस हादसे में बेंगलूरू हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीामार – चेन्नई सेंट्रेल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी। शुक्रवार की शाम हुए हादसे के बाद रात भर रेस्कयू ऑपरेशन जारी रहा। इस बीच अंधेरे के कारण काफी दिक्कतें भी आई। वहीं शनिवार की सुबह बचाव अभियान में देखा गया कि अभी भी कई शव ट्रेन के मलवे में फंसे हुए हैं। सेना के जवान भी बचाव अभियान में जुट गए हैं।

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बालेश्वर के बाहनगा में तन ट्रेन कोरोमंडल एक्सप्रेस-बंगलौर हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी का हादसा इतना भयंकर था कि देखने वालों की रूह कांप गई। हादसे के बाद बोगी उड़ गई। इस हादसे को भारतीय ट्रेन हादसे की सबसे बड़ी ट्रैजेडी माना जा रहा है। ट्रेन में सवार लोगों के शव यहां-वहां बिखरे मिले हैं। कहीं किसी का कटा हुआ हाथ पड़ा था तो कहीं पर किसी का पैर। ट्रेन के नीचे सैंकड़ों लोग फंसे थे। उनके कराहने की आवाज से दुर्घटनास्थल गूंज रहा था।

ये रहा ट्रेन हादसें का कारण
जानकारी के अनुसार कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा से चेन्नई सेंट्रल जा रही थी । जब यह ट्रेन बाहानागा बाजार स्टेशन के पास पहुंची तो करीब सात बजकर 20 मिनट पर इसकी टक्कर खड़ी मालगाड़ी से हो गई। टक्कर के बाद ट्रेन के आठ डब्बे पटरी से उतरकर दूसरी लाइन पर चले गए। इसी बीच दूसरी लाइन पर हावड़ा जा रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस इन बोगियों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बताया जा रहा रहा है कि सिग्नल खराब होने के कारण मालगाड़ी और कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन एक ही पटरी पर आ गई थीं। इस कारण यह भीषण हादसा हुआ।

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हादसे में ट्रेन के ये कोच पलटें
जानकारी के अनुसार ट्रेन संख्या है 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) के कोच बी2 से बी9 तक के कोच पलट गए थे। वहीं ए1-ए2 कोच भी ट्रैक पर औंधे जा पड़े। वहीं, कोच B1 के साथ-साथ इंजन पटरी से उतर गया और अंतत: कोच एच1 और जीएस कोच ट्रैक पर रह गए। यानि कोरोमंडल एक्सप्रेस में मरने वालों की संख्या अधिकतम मानी जा रही है और एसी बोगी में सवार लोगों की जानहानि अधिक होने की आशंका है।

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डेढ़ घंटे बाद शुरू हुआ बचाव अभियान
जिस वक्त हादसा हुआ उस समय काफी अंधेरा था। स्थानीय लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों और बचाव दल की टीम पहुंची मगर अंधेरे के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। बचाव अभियान भी ठीक से नहीं चल पाया। करीब डेढ़ घंटे बाद स्थानीय प्रशासन और बाहनगा रेलवे स्टेशन ने लाइट की व्यवस्था की और लाइट जलने के बाद यात्री टूटे हुए हाथ-पैर के साथ लेटे नजर आए।

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