

हल्द्वानी। जिस जमरानी क्षेत्र के गांव में सैकड़ों लोगों ने अपने बचपन और जवानी के दिन गुजारे, उस गांव में 213 परिवारों के लोगों ने सोमवार को अपने पसंदीदा नेता को चुनने के लिए अंतिम वोट डाला। क्योंकि मानसून के बाद बांध निर्माण के चलते परिवारों को विस्थापित किया जाना है। ऐसे में आखरी बार अपने मूल गांव की पंचायत के लिए मतदान कर रहे लोगों में जहां एक और उत्साह था तो वहीं दूसरी ओर जल्द गांव से दूर होने का दर्द भी साफ कलक रहा था। गौला नदी के अप स्ट्रीम में पेयजल और सिंचाई के लिए जरूरी जमरानी बांध का निर्माण किया जा रहा है।निर्माण के लिए प्रस्तावित जगह से नदी के बहाव का रुख बदला जाना है। इसके लिए नदी के छोर पर 650 और 750 मीटर की दो टनल बनाई जा रही है। टनल का निर्माण पूरा होते ही मुख्य बांध का कार्य शुरू हो जाएगा। बांध निर्माण के बाद 213 परिवारों के खेत और मकान डूब जाएंगे। इसी वजह से आखिरी बार इन परिवारों के मतदाताओं ने वोट की चीट की। इनमें बुर्जुगों के साथ ही पहली बार वोट डाल रहे मतदाता शामिल रहे। गांव के साथ जिला भी छूटेगा बांध निर्माण से प्रभावित ग्रामीणों को गांव के साथ ही अपना जिला भी छोड़ना होगा। उन्हें ऊधमसिंह नगर जिले में कियछा के नजदीक प्राग फॉर्म में विस्थापित किया जाना है। इसके लिए मास्टर प्लान में जगह चिह्नित कर सिंचाई विभाग की जमरानी परियोजना इकाई ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जल्द ही यहां जरूरी सुविधाओं का विकास कर विस्थापन की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इन पंचायतों के लिए किया मतदान जमरानी बांध के निर्माण से क्षेत्र के छह राजस्व गांव प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित गांव चार पंचायत पनियाडोर पस्तोला, उड़वा और हैड़ाखान में शामिल हैं। इन पंचायतों में शामिल 213 परिवारों का पूरी तरह से विस्थापन किया जाना है। इसके बाद ये परिवार इन पंचायतों का हिस्सा नहीं रहेंगे। गांव की योजनाओं में नहीं रहेंगे शामिल प्रभावित 213 परिवार गांव की पंचायत चुनने के बाद यहां बनने वाली पोजनाओं का हिस्सा नहीं होंगे। विस्थापन के बाद गांव का हिस्सा नहीं होने से उन्हें किसी भी योजना का लाभनहीं मिलेगा। ऐसे में गांव की नई सरकार चुनने के बाद उनकी भूमिका समाप्त हो गई है। नई जगह बिना पंचायत के रहेंगे ग्रामीण डूब क्षेत्र के ग्रामीणों को प्राग फॉर्म में बसाया जाना है। इसके लिए जरूरी कार्रवाई शुरू हो गई है। लेकिन यह अभी तक तय नहीं किया गया है कि वहां की पंचायत का ढांचा क्या होगा। जिससे अगले चुनावों तक ग्रामीणों को बिना पंचायत अधिकारों के रहना होगा।