राजकीय मेडिकल कॉलेज में बीते कुछ समय से एक मामले ने टेंशन बढ़ा रखी थी। दरअसल सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों की रैगिंग का मामला लगातार माहौल को गर्म कर रहा था। लेकिन ना कॉलेज प्रशासन यह मानने को तैयार था कि रैगिंग हुई है और ना कोई छात्र इस बात को कुबूल कर रहा था। मगर अब आखिरकार राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने रैगिंग की बात को स्वीकार कर लिया है।
दरअसल मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के प्रवेश के बाद 4 मार्च को एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में 27 जूनियर छात्रों के सिर मुड़वाए हुए थे। वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि छात्र सिर नीचे करके हाथ पीछे बांधकर चल रहे थे। जब 7 मार्च को एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई तो पता चला कि 43 छात्रों ने सिर मुड़वाए हैं।
इसके बाद छात्रों से पूछताछ हुई, उनके बयान लिए गए, मगर किसी ने भी रैगिंग की बात को स्वीकार नहीं किया। फिर हाईकोर्ट में 9 मार्च को जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कमिश्नर व डीआईजी को जांच करने के निर्देश दिए थे। जब कमिश्नर और डीआईजी ने 14 मार्च को जांच की तो पता चला कि रैगिंग के नाम पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है।
मामले मैं सत्यता साबित होने के बाद कॉलेज के सहायक वार्डन ने 18 मार्च को अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने भी रैगिंग को माना था। अब बीते दिन कॉलेज के प्राचार्य कार्यालय में एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई। जिसमें प्रशासन ने रैगिंग की बात मान ली है। हालांकि अभी तक यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि रैगिंग किसने की। इस आधार पर कमेटी ने सामूहिक रूप से कार्यवाही का निर्णय लिया है।
बता दें कि हॉस्टल संख्या दो में रहने वाले करीब 121 छात्रों पर अर्थदंड लगाया गया है। इन छात्रों को 4 अप्रैल तक ₹5000 का जुर्माना भरना होगा। जिन छात्रों ने ही जुर्माना नहीं भरा उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा। साथ ही उन्हें कक्षाओं में भी बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अरुण जोशी ने जानकारी दी और बताया कि कमेटी द्वारा सामूहिक तौर पर कार्यवाही का निर्णय लिया है। परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। छात्रों की हर तरह की सुरक्षा का इंतजाम किया है।