सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने मंत्रियों को पत्र भेजकर उनसे उनके प्रभारी जिलों के दौरों, प्रभारी जिलों में किए गए रात्रि प्रवास, मीटिंग की डिटेल रिपोर्ट मांगी है। हर महीने दी जाने वाली ये रिपोर्ट मंत्रियों ने मार्च से अभी तक नहीं दी है। आचार संहिता हटने के बाद भी मंत्रियों ने जब रिपोर्ट नहीं सौंपी तो सीएम को उन्हें रिमांडर भेजना पड़ा।
मंत्रियों ने सीएम धामी को नहीं दी रिपोर्ट
दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा था। इस दौरान मंत्रियों से अपेक्षा की गई थी कि वे अपने प्रभारी जिले में हर महीने किसी एक विकासखंड में जाकर विकास योजनाओं का निरीक्षण करें। इस दौरान वहां रात्रि विश्राम कर जनता और कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुना जाए और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएं।
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को पत्र लिख मांगी डिटेल
मंत्रियों को हर महीने अपनी भ्रमण की डिटेल रिपोर्ट कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के जरिए सीएम को भेजनी थी। शुरुआती दौर में तो मंत्रियों ने ये रिपोर्ट भेजी भी, लेकिन पिछले छह महीने से मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को छोड़कर किसी ने भी मुख्यमंत्री को अपने दौरों की रिपोर्ट नहीं सौंपी हैं। लिहाजा दो अगस्त को मुख्यमंत्री को खुद एक एक मंत्री को पत्र लिखकर रिपोर्ट की याद दिलानी पड़ी।
क्यों पड़ी सीएम को मंत्रियों को पत्र लिखने की जरूरत ?
उत्तराखंड में मंत्रियों को लेकर ये बात उठती रही है कि मंत्री अपनी विधानसभा के मंत्री बनकर रह गए हैं। फॉरेस्ट फायर हो या फिर चारधाम यात्रा या फिर केदारनाथ आपदा। हर मोर्चे पर अंत में सीएम को ही कमान संभालनी पड़ती है। मंत्रियों का दावा है कि वे अपने-अपने प्रभारी जिलों में नियमित दौरे कर रह हैं और सीएम को रिपोर्ट भी भेज रहे हैं। खास बात ये है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंत्रियों का बचाव करते हुए नजर आ रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो कई मंत्री पंद्रह अगस्त, 26 जनवरी या फिर जिला प्लान की मीटिंग के अलावा प्रभारी जिलों का रूख ही नहीं करते। ब्लॉक लेवल पर जाकर वहां रात्रि प्रवास करना तो दूर की बात है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को एक-एक मंत्री को पत्र लिखकर उन्हें उनके दौरों की याद दिलानी पड़ी है।