भारत अब दक्षिणी गोलार्ध के देशों के बजाय उत्तरी गोलार्ध से चीते लाने पर विचार कर रहा है। बता दें कि दक्षिणी अफ्रीका और नामीबिया जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों से लाए गए बड़े बिल्लियों में बायोरिदम की समस्या देखी गई थी। इससे बचने के लिए अब सोमालिया, तंजानिया, सूडान और उत्तरी गोलार्ध के देशों से नए चीते लाने पर विचार कर रहा है।
बता दें कि उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच सर्केडियन लय में अंतर होता है। भारत में पिछले साल गर्मियों और मानसून के दौरान अफ्रीकी चीतों की सर्दियों की मोटी खाल विकसित की गई थी। वहीं, इनमें से तीन चीते, एक नामीबियाई मादा और दो दक्षिण अफ्रीकी नर, अपनी मोटी सर्दियों की खाल विकसित होने के कारण मर गए। इन चीतों की मौत उनकी पीठ और उनकी गर्दन पर घाव, कीड़ों और सर्दियों की त्वचा के नीचे रक्त के संक्रमण के कारण हुई।
उत्तरी गोलार्ध के देशों से नए चीते लाने पर विचार
बता दें कि पिछले साल, संचालन समिति की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि दक्षिण अफ्रीकी चीते दक्षिणी गोलार्ध की जलवायु परिस्थितियों के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित हैं, जहां की जलवायु व्यवस्था अलग है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण केन्या और सोमालिया जैसे उत्तरी गोलार्ध के देशों से नए चीते लाने को प्राथमिकता दे।