श्रमिक संहिता श्रमिकों के खिलाफ कानूनों के खिलाफ विधिक लड़ाई के साथ संगठनों के एकजुट होने की जरूरतनियोक्ताओं को दी जा रही नौकरी से निकालने की अनुमति
नैनीताल:- विभिन्न विभागों के उपनल व संविदा कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पत्रकारों से वार्ता में हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमसी पन्त ने 1 अप्रैल से लागू हो रही श्रमिक संहिता (लेबर कोड) को श्रमिक हितों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा है कि इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार व श्रम आयोग को प्रत्यावेदन दिए गए हैं। श्रमिक विरोधी इन कानूनों के खिलाफ विधिक लड़ाई के साथ साथ विभिन्न संगठनों को साथ लेकर व्यापक आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है।अधिवक्ता एमसी पन्त ने कहा कि श्रमिकों को जो कानूनी सुरक्षा अधिकार लंबे संघर्षों से हासिल हुए थे उसे केंद्र सरकार द्वारा खत्म कर दिया है। 44 श्रम कानूनों की जगह 4 श्रम संहिताएं बना दी हैं। जिनकी नियमावली बन गई है और उन्हें 1 अप्रैल से लागू किया जा रहा है। उत्तराखण्ड सरकार ने भी नए उद्योगों के नाम पर समस्त कानूनी अधिकारों को 1000 दिनों के लिये निलंबित कर नियत अवधि रोजगार को कानूनी मान्यता दे दी है। जिससे नियोक्ताओं को किसी भी श्रमिक को मनमर्जी से रखने व निकलने की खुली छूट मिल जाएगी और स्थायी रोजगार की जगह फिक्स टर्म रोजगार को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। साथ ही ट्रेड यूनियन अधिकारों को सीमित कर दिया गया है जिससे हड़ताल करना कठिन होगा और श्रमिक समस्याओं के सम्बंध में सामूहिक वार्ता के बजाय एक श्रमिक से समझौता किया जाएगा। इन कानूनों में श्रम न्यायालय व औद्योगिक न्यायाधिकरण को कमजोर कर दिया है। जिससे पीडि़त श्रमिक के न्याय पाने के रास्ते बंद हो जाएंगे। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि भगवती प्रोडक्ट्स माइक्रोमैक्स के 303 श्रमिकों की छंटनी को औद्योगिक न्यायाधिकरण व हाईकोर्ट द्वारा अवैध घोषित कर उनकी सेवा बहाली करने, वोल्टास लिमिटेड पंतनगर, एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रॉस लिमिटेड पंतनगर के श्रमिकों के पक्ष में न्यायाधिकरण का फैसला होने के बावजूद श्रम विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं कि जा रही है। जो श्रम कानूनों की दुर्दशा दर्शाता है। इसलिए समस्त श्रमिकों व उनसे जुड़े लोंगों को इन कानूनों के खिलाफ मुखर होना होगा।पत्रकार वार्ता में परिवहन निगम संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कमल पपनै ने रोडवेज के संविदा कर्मियों को पांच माह से वेतन न मिलने व वाहन चालकों के खिलाफ कठोर कानून बनाये जाने से बड़ी संख्या में वाहन चालकों द्वारा नौकरी छोडऩे की जानकारी दी।उपनल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश शर्मा व महामंत्री मनोज जोशी ने कहा कि उपनल कर्मियों के सम्बंध में हाईकोर्ट द्वारा 2018 में पारित आदेश का सरकार ने पालन नहीं किया और सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री मनोज पन्त, कंचन जोशी, रमेश बिष्ट ने कहा कि कोरोना काल में उनके संगठन ने फ्रंट लाइन में रहकर काम किया। इस दौरान उनके पांच साथियों ने जान भी गवाई। लेकिन इन कर्मचारियों का भविष्य अधर में है। ट्रेड यूनियन नेता पीयूष चतुर्वेदी, आईआईटी अनुदेशक संविदा संघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह, भगवती श्रमिक संगठन के पूजा भट्ट, चंदन बिष्ट, वोल्टास के दिनेश पन्त, श्रमिक नेता अमरीन पाल, दीपक सनवाल, गणेश गोस्वामी, प्रेम भट्ट आदि ने विभिन्न समस्याओं का उल्लेख किया।