नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के उपचार में शामिल नौ दवाओं को प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया गया है। इनमें तीन साल तक कोरोना उपचार में शामिल रही एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और आइवरमेक्टिन दवाएं तक शामिल हैं, जिन पर अब पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यही नहीं, सरकार ने कोरोना के रोगियों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर भी शर्त लागू कर दी है। डॉक्टरों से कहा है कि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल तब तक नहीं करना चाहिए जब तक बैक्टीरिया को लेकर नैदानिक संदेह न हो।
जानकारी के अनुसार, नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने मिलकर संशोधित उपचार प्रोटोकॉल तैयार किए हैं। इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य स्वास्थ्य विभागों के साथ साझा कर इन्हीं के आधार पर उपचार करने के निर्देश दिए हैं। प्रोटोकॉल में कोरोना रोगियों को तीन अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है। जिन रोगियों में संक्रमण के हल्के लक्षण हैं उन्हें होम आइसोलेशन के अलावा उच्च जोखिम की स्थितियों के बारे में जानकारी दी गई है। दूसरी श्रेणी में मध्यम लक्षण वाले रोगी हैं जिनके लिए स्टेरॉयड युक्त दवाओं का सेवन नहीं करने की सलाह दी गई है। अगर मरीज की स्थिति खराब होती है तो ही एचआर सीटी कराया जा सकता है।