उद्योगपति रतन टाटा का इसी महीने 9 अक्टूबर को निधन हो गया था। उनके निधन के बाद से उनकी संपत्ति को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। वहीं अब उनकी वसीयत सामने आई है, जिसमें उनकी संपत्ति के बंटवारे का जिक्र है। साथ ही उन स्टार्टअप कंपनियों में किए गए निवेश के भविष्य का भी फैसला रतन टाटा अपनी वसीयत में कर गए हैं, जिसमें उन्होनें अपने जीवनकाल में निजी तौर पर निवेश किया था। इसमें ओला, ओला इलेक्ट्रिक, अपरस्टॉक्स, क्योरफिट और अरबन कंपनी जैसी कंपनियां शामिल है।
रतन टाटा की विरासत में जो जानकारी सामने आई है, उसके हिसाब से उनकी निजी संपत्ति करीब 10,000 करोड़ रुपये की है। इसमें टाटा संघ के अंदर उनकी निजी हिस्सेदारी, टाटा ग्रुप की कई कंपनियों में उनके निजी शेयर्स उनका अपना घर इत्यादि हैं। वसीयत में उनके परिवार के सदस्यों से लेकर उनके कुत्ते, घर के स्टाफ और उनके द्वारा बनाए नॉन प्रॉफिट ट्रस्ट को दिए जाने वाले हिस्से का जिक्र है। साथ ही उनके निवेश का भविष्य क्या होगा, ये भी साफ किया गया है।
रतन टाटा की वसीयत में कहा गया है कि उन्होनें आरएनटी एसोसिएट्स और आएनएटी एवाइजर्स के माध्यम जिन स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है। उन्हें लिक्विड कर दिया जाएगा। यानी इन कंपनियों में उनके निवेश या शेयर होल्डिंग को खत्म कर दिया जाएगा। इससे जो पैसा आएगा उसे उनके नॉन प्रॉफिट ट्रस्ट रत्न टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन को सौंप दिया जाएगा।
18 स्टार्टअप में निवेश
बता दें कि रतन टाटा ने निजी तौर पर करीब 18 स्टार्टअप में निवेश किया था। इनमें ओला, ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडिल, ट्रैक्सन, फर्स्ट क्राय, कार देखो, कैश करो, क्योर फिट, ब्लू स्टोन, अपरस्टॉक्स, अरबन कंपनी, अरबन लैडर और मॉगलिक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं।
क्या है रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन?
बता दें कि साल 2022 मे रतन टाटा ने रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन बनाया था। ये एक सेक्शन-8 कंपनियां है, जो दिल्ली में रजिस्टर्ड है। ये कंपनी नॉन प्रॉफिड कॉज के लिए काम करेगी। रतन टाटा का ये फाउंडेशन बनाना टाटा परिवार की परंपरा के मुताबिक ही है, जहां पहले भी टाटा परिवार के सदस्यों ने अपनी संपत्ति को फाउंडेशन को डोनेट कर दिया।
इसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, सर रतन टाटा ट्रस्ट जैसे फाउंडेशन शामिल है। इन्हीं ट्रस्ट की संपत्ति को मिलाकर टाटा ट्रस्ट्स बनता है, जो टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखती है। टाटा ट्रस्ट्स ही असलियत में पूरे टाटा ग्रुप की मालिक है। अपने जीते जी रतन टाटा ही टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन थे अब उनके निधन के बाद नोएल टाटा को ये जिम्मेदारी मिली है