उत्तराखंड में कोरोनावायरस के मामले घटते जा रहे हैं जिसकी वजह से सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया लेकिन कहीं ना कहीं पर वैज्ञानिकों को तीसरी लहरी की आशंका जताई जा रही है जिसकी वजह से सरकार एक बार फिर अपना फैसला बदल सकती है और जहां सरकार के द्वारा स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया था उन्हें बंद करने का भी फैसला सरकार ले सकती है. मंत्रिमंडल की 27 जुलाई को हुई बैठक में प्रदेश में कई महीनों से बंद स्कूलों को खोलने का फैसला लिया गया था. सरकार ने छठी से 12 वीं तक की कक्षाएं शुरू करने का निर्णय किया गया था. हालांकि बाद में जारी एसओपी में 2 अगस्त से नौवीं से 12 वीं और 16 अगस्त से छठी से आठवीं की कक्षाएं शुरू करने का निर्णय किया गया. 2 अगस्त को स्कूल खुले भी लेकिन बच्चों की संख्या कम रही। कई अभिभावक कोरोना के डर के कारण बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं, इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट में सरकार के स्कूलों के फैसले के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिसमे हरिद्वार निवासी विजय पाल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने बिना किसी तैयारी या योजना के कोरोनोवायरस महामारी के बीच में स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है।
याचिका में कहा गया था कि वैज्ञानिक समुदाय ने कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को लेकर आगाह किया है. जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। वहीं अब प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि कोर्ट में जिन मामलों पर जवाब मांगा है सरकार उनका जवाब कोर्ट में देगी। पांडे ने कहा कि हाई कोर्ट का जो भी फैसला होगा सरकार उसका सम्मान करेगी लेकिन जिस तरह की बातें तीसरी लहर को लेकर बताई जा रही हैं कि तीसरी लहर आएगी,तो उसकी आहट को देखते हुए स्कूल को सरकार फिर बंद कर सकती है।