
उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (BRO) के शिविर के पास हुए हिमस्खलन के बाद बर्फ में फंसे 50 मजदूरों को बचा लिया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से चार श्रमिकों की मौत हो गई है। वहीं, चार मजदूर अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए सेना ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) की मदद ली है। बचाव अभियान में सेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवान जुटे हुए हैं।
हिमस्खलन का कहर: क्या हुआ था?
शुक्रवार (28 फरवरी, 2025) को सुबह 5:30 से 6:00 बजे के बीच माणा और बद्रीनाथ के बीच BRO शिविर के पास हिमस्खलन हुआ। इस दौरान आठ कंटेनर और एक शेड बर्फ की चपेट में आ गए, जिसमें 55 मजदूर फंस गए। शुक्रवार रात तक 33 और शनिवार को 17 मजदूरों को बचा लिया गया। हालांकि, चार मजदूरों की मौत हो गई, जबकि चार अभी भी लापता हैं।
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बचाव अभियान में सेना और हेलीकॉप्टरों की मदद
बचाव कार्य में छह हेलीकॉप्टर शामिल हैं, जिनमें तीन थलसेना के, दो वायुसेना के और एक निजी हेलीकॉप्टर शामिल है। सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा गांव में बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा, “50 मजदूरों को बचा लिया गया है, लेकिन चार की मौत हो गई है। शेष चार की तलाश जारी है।”
मृतकों की पहचान
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने मृतकों की पहचान की है। इनमें हिमाचल प्रदेश के मोहिंद्र पाल और जितेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव और उत्तराखंड के आलोक यादव शामिल हैं।
वहीं, लापता मजदूरों में हिमाचल प्रदेश के हरमेश चंद, उत्तर प्रदेश के अशोक और उत्तराखंड के अनिल कुमार तथा अरविंद सिंह शामिल हैं।
बर्फ से अवरुद्ध हुए रास्ते, GPR से तलाश
सेना के अधिकारियों ने बताया कि बर्फ के कारण कई स्थानों पर संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गया है, जिससे वाहनों की आवाजाही मुश्किल हो गई है। लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने कहा कि बद्रीनाथ-जोशीमठ राजमार्ग 15-20 स्थानों पर बर्फ से अवरुद्ध है। लापता मजदूरों की तलाश के लिए दिल्ली से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) मंगाया गया है। सेना ने यूएवी, क्वाडकॉप्टर और हिमस्खलन बचाव कुत्तों का भी इस्तेमाल किया है।
मुख्यमंत्री ने किया हवाई सर्वेक्षण
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार हर संभव मदद के लिए प्रतिबद्ध है।
चमोली हिमस्खलन त्रासदी में अब तक 50 मजदूरों को बचा लिया गया है, लेकिन चार की मौत हो गई है और चार अभी भी लापता हैं। सेना और अन्य एजेंसियों ने बचाव अभियान को युद्ध स्तर पर जारी रखा है। GPR और अन्य उन्नत तकनीकों की मदद से लापता मजदूरों की तलाश की जा रही है। मौसम की चुनौतियों के बावजूद, बचाव कार्य जारी है और सरकार ने पूरी तरह से मदद का आश्वासन दिया है