प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों के न सिर्फ शिक्षकों और कर्मचारियों की बल्कि, छात्र-छात्राओं की मोबाइल एप से उपस्थिति दर्ज होगी। उच्च शिक्षा के प्रभारी निदेशक प्रो. सीडी सूठा की ओर से इस संबंध में सभी प्राचार्यों को निर्देश जारी किया गया है। प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि शासन की ओर से प्रदेश के समस्त राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों, शिक्षक, शिक्षणेत्तर एवं अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की मोबाइल एप से उपस्थिति दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। पहले चरण में एक सप्ताह तक परीक्षण के तौर पर मोबाइल एप से उपस्थिति दर्ज की जाए। एक सप्ताह तक परीक्षण सफल होने पर द्वितीय चरण में स्थायी तौर पर शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं की मोबाइल एप से उपस्थिति दर्ज की जाए। निर्देश में कहा गया है समस्त प्राचार्यों की उपस्थिति की शासन और निदेशालय की ओर से ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
आपको बता दें कि मनमानी कर महाविद्यालय से गायब रहने वाले प्राचार्य समेत स्टाफ के खिलाफ विभाग सख्त हो गया है। शनिवार को हल्द्वानी से उच्च शिक्षा प्रभारी निदेशक प्रो. सीडी सूंठा ने समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों को पत्र जारी कर कहा कि महाविद्यालयों के प्राचार्यों, शिक्षक, शिक्षणेत्तर, अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की मोबाइल एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रथम चरण में एक सप्ताह तक परीक्षण के तौर पर प्राचार्यों की उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी। इसके बाद सफलता मिलने पर द्वितीय चरण में प्राध्यापकों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति मोबाइल एप पर दर्ज कराई जाएगी। प्राचार्यों की उपस्थिति शासन और निदेशालय स्तर पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग करने को कहा है। पिछले सप्ताह भी संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा देहरादून ने प्राचार्यों को पत्र जारी कर कहा था कि 27 अप्रैल को एक शिकायती पत्र डाक के माध्यम से प्राप्त हुआ है।
बता दें कि शिकायती पत्र में राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों की उपस्थिति के संबंध में शिकायत की गई है। जिसका संज्ञान लेकर महाविद्यालय में नियमित रूप से बायोमेट्रिक उपस्थित दर्ज कर मासिक सूचना उपलब्ध कराने के प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं। बता दें कि शिकायतकर्ता ने संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा देहरादून को शिकायती पत्र भेजकर कहा था कि कई राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य किसी सप्ताह या तो आते नहीं या सप्ताह में एक या दो दिन आते हैं। साथ ही जिस दिन महाविद्यालय आते हैं, उस दिन उनके महाविद्यालय में आने जाने का कोई समय नहीं होता। साथ ही ठहराव की समयावधि एक या दो घंटे की भी नहीं है। उन्होंने प्राचार्य की मनमानी को रोकने के लिए महाविद्यालय में ठहराव के शख्त नियम बनाने, निदेशालय स्तर पर इनकी बायोमेट्रिक रिपोर्ट तलब करने, छात्रों के भविष्य को देखते हुए उत्तराखंड उच्च शिक्षा की छवि को महत्व देकर शख्त नियम बनाने, छात्र-छात्राओं के लिए एक शिकायत प्रकोष्ठ बनाने की मांग की थी