हल्दूचौड़
वर्ष 2007 में स्थापित क्षेत्र का अष्टादशभुजा महालक्ष्मी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है यहां का दिव्य एवं भव्य वातावरण हर आते जाते श्रद्धालुओं को सुखद अनुभूति का एहसास कराता है यहां पहुंच कर पवाहारी ब्रह्मलीन संत बालकृष्ण यति जी महाराज के विग्रह का दर्शन कर श्रद्धालु अपने अभीष्ट को प्राप्त करते हैं बालकृष्ण यति धाम जो अष्टादशभुजा महालक्ष्मी मंदिर के नाम से विख्यात है मां की भव्य अष्टधातु की प्रतिमा का दर्शन कर श्रद्धालु जन्म जन्म के भव बंधन से मुक्त हो जाते हैं मंदिर का वातावरण असीम शांति को प्रदान करता है यहां पहुंचकर व्यक्ति के तमाम प्रकार के संकट इस प्रकार से दूर हो जाते हैं जैसे सूर्य के प्रकाश से घनघोर अंधकार समाप्त हो जाता है मंदिर के व्यवस्थापक सोमेश्वर यति जी महाराज बताते हैं कि इस भव्य मंदिर की आधारशिला यहां 30 मार्च 2004 को रखी गई तथा पवाहारी संत महाकाल के परम भक्त बालकृष्ण यति जी महाराज के दिशा निर्देशन में वर्ष 2007 में यह कार्य पूरा हुआ और 30 अप्रैल 2007 को इसका प्रथम स्थापना दिवस मनाया गया सोमेश्वर यति जी महाराज बताते हैं कि अष्टादशभुजा महालक्ष्मी महालक्ष्मी मंदिर को बालकृष्ण यति धाम के नाम से भी जाना जाता है जो बालकृष्ण यति जी महाराज की तपस्थली भी है उन्होंने बताया कि वर्ष के दोनों नवरात्र में यहां बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता है इसके अलावा मंदिर का वार्षिकोत्सव बेहद धूमधाम से मनाया जाता है तथा वर्ष में अनेक धार्मिक अनुष्ठान भी है नित्य संपादित किए जाते हैं उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल को महालक्ष्मी मंदिर यति धाम का 17 वां वार्षिकोत्सव है उससे पूर्व 28 और 29 अप्रैल को यहां सुंदरकांड शिवपूजन रुद्राभिषेक आदि धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न कराए जाएंगे 30 अप्रैल को लक्ष्मी पूजन ,माता महालक्ष्मी जी का महा अभिषेक के पश्चात विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा उन्होंने समस्त श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की है
आस्था का केंद्र है बेरीपड़ाव स्थित श्री अष्टादशभुजा महालक्ष्मी मंदिर,धूमधाम से मनाया जाएगा 30 अप्रैल को 17 वां स्थापना दिवस
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