पहाड़ की बेटी ने टोक्यो में रचा इतिहास, ऐसा कारनामा करने वाली बनी उत्तराखंड की पहली महिला

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देवभूमि की बेटियों ने उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। पिछले कुछ सालों से खासकर पहाड़ की बेटियों ने बाॅलीवुड,सेना और खेलों में उत्तराखंड को एक नई पहचान दी है। अब रानीखेत निवासी रीति भंडारी सहाय ने उत्तराखंड ही नहीं बल्कि भारत का सिर विदेश में ऊंचा किया है। जिसके बाद खेल प्रेमियांे में खुशी का माहौल है।

जी हां उत्तराखंड के रानीखेत निवासी 44 साल की रीति भंडारी सहाय, विश्व मैराथन मेजर बोस्टन, बर्लिन, न्यूयॉर्क, शिकागो, लंदन को पूरा करने वाली उत्तराखंड की पहली महिला बन गई हैं। मैराथन धावकों के लिए एक चैम्पियनशिप-शैली की प्रतियोगिता 2006 में शुरू हुई थी। रीति को उपलब्धि हासिल करने के लिए सभी छह मैराथन के समान सिक्स स्टार मेडल से सम्मानित किया गया है। बता दें कि इससे पहले उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की केवल छह महिलाएं थीं। हालांकि विगत 5 मार्च को टोक्यो मैराथन के बाद सहाय सहित अब उपलब्धि हासिल करने वालों की संख्या 23 हो गई है।

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रीति ने वर्ष 2018 में 40 साल की उम्र में मैराथन में दौड़ना शुरू किया। पहला सितंबर 2018 में बर्लिन मैराथन था। इसके बाद क्रमशः 2019 अप्रैल और नवंबर में बोस्टन मैराथन और न्यूयॉर्क मैराथन हुआ। वर्ष 2020 में कोविड -19 के आने तक ट्रैक पर था, जिसके कारण कोई मैराथन नहीं हुई अंत में, जब महामारी की स्थिति सामान्य हो गई, तो अक्टूबर 2022 में लंदन में अपने चैथे मैराथन में भाग लिया, जिसमें 3 घंटे 37 मिनट के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय को भी हिट किया। शिकागो में पांचवें मैराथन में भाग लिया। उसने इस साल टोक्यो में एक के साथ अपने छह मैराथन का समापन किया, जो सबसे कठिन था।

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उनके पिता, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी ने उनकी उपलब्धि को परिवार और राज्य के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि बेटी की उपलब्धि राज्य और देश की और लड़कियों को अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। रीति ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और पति सहित अपने परिवार को दिया है। जिन्होंने वर्ष 2010 में कसरत के रूप में दौड़ना शुरू करने के बाद से हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि मेरा अगला लक्ष्य दक्षिण अफ्रीका में कॉमरेड्स मैराथन में भाग लेना है, जो दुनिया में सबसे लंबी है।

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