नैनीताल:- उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में बही आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि को दोबारा स्थापित करने के सम्बंध में पूर्व में जारी आदेश का पालन न करने पर राज्य सरकार से जबाव दाखिल करने को कहा है।पूर्व में हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि को राज्य सरकार एक वर्ष के भीतर पुन: स्थापित करे। परन्तु आज तक उनकी समाधि को बनाये जाने को लेकर विचार तक नहीं किया। जिस पर कोर्ट ने आज नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि क्यों न सम्बंधित विभागों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाय। सरकार इस मामले में दो सप्ताह के भीतर कारण सहित जवाब पेश करें। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमुर्ति्त मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ में हुई। मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि में वर्ष 2013 में केदार नाथ आपदा के समय केदारनाथ मंदिर के समीप बनी आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि बह गई थी। जिसके पुनर्निर्माण को लेकर उनके द्वारा जनहित याचिका दायर की गई। पूर्व में उच्च न्यायालय ने अपने 10 अक्टूबर 2018 को एक वर्ष में समाधि को पुन: स्थापित करने के आदेश दिए थे परन्तु अभी तक उसके सम्बन्ध में कोई विचार तक नही किया गया। यह उच्च न्यायलय के आदेश की अवहेलना है। याचिकर्ता का कहना है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की जिसमे से एक बद्री शक्तिपीठ है। शंकराचार्य ने ही देवभूमि का पूरे विश्व में प्रचार किया। उसके बाद भी सरकार उनकी समाधि की स्थापना को लेकर मौन साधे हुए। जबकि केदारनाथ प्रधानमंत्री का भी ड्रीम प्रोजेक्ट है।
शंकराचार्य की समाधि को दोबारा स्थापित ना किये जाने के संबंध में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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