उत्तराखंड” प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, साथ ही आपदाओं से ग्रसित… यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सांस्कृतिक भौगोलिक और आध्यात्मिक से परिपूर्ण है. अगले 1 सप्ताह के अंदर चार धाम यात्रा पूरे राष्ट्र और अंतरराष्ट्रय समुदाय के लिए शुरू हो रही है. पर जिस तरह इस समय उत्तराखंड के जंगलों में दावानल ने अपने परिवेश में समूचे जंगल, वन संपदा और प्राकृतिक जीव जंतुओं को अपनी प्रचंड अग्नि में समावेश कर लिया है, उससे जो वन्यजीव, वन संपदा और साथ ही वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम देखे जा रहे हैं.. तो क्या हम भविष्य में अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नागरिकों को उत्तराखंड में आने के लिए प्रेरित कर पाएंगे…यह एक सोचनीय विषय है . उत्तराखंड के वन मंत्री पूर्ण रूप से विफल नजर आ रहे हैं जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए इसमें राज्य सरकार को लीपापोती का काम छोड़कर तुरंत एक्शन लेना चाहिए.राज्य सरकार अगर इसे गंभीरता से लेती तो राज्य में वनों का इतना नाश नहीं होता.एक तरफ प्रदेशभर के पहाड़ी क्षेत्रों में वनों का विनाश हो रहा है दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.बल्कि यह वक्त प्रचार-प्रसार एवं उप चुनाव की तैयारी का नहीं प्रदेश के जंगलों को बचाने का हैं..