देहरादून। विधानसभा से बर्खास्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बेटे की नौकरी जाने, ऋण वसूली और सरकारी आवास खाली करने के नोटिस से सदमे में पिता की मौत हो गई। 20 साल से मां भी पैरालिसिस से पीड़ित है। पांच साल की बेटी के दोनों आखों में मोतियाबिंद है।
अल्मोड़ा निवासी शिवराज सिंह नागरकोटी विधानसभा सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी (परिचारक) कर्मचारी थे। वर्ष 2016 में शिवराज की नियुक्ति विधानसभा सचिवालय में तदर्थ कर्मचारी के रूप में हुई थी और उन्हें राज्य संपत्ति विभाग की ओर से केदारपुरम स्थित टाइप-ए श्रेणी का आवास आवंटित था। विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए जाने के बाद शिवराज की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई थी। शिवराज ने अपनी बहन की शादी और गांव में पुश्तैनी मकान की मरम्मत के लिए बैंक से ऋण लिया था। नौकरी जाने के बाद बैंक के लोन की किस्तों का भुगतान करने में असमर्थ हो गए थे और उनकी लोन की किस्त नहीं जा रही थी। ऋण वसूली को लेकर बैंक से भी नोटिस मिल रहे थे। इससे पिता काफी तनाव में थे। वहीं राज्य संपत्ति विभाग ने सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया। इकलौते कमाने वाले बेटे की नौकरी जाने से तनाव में चल रहे शिवराज के पिता हर सिंह नागरकोटी (55) की 4 मार्च को हार्ट अटैक से मौत हो गई। इससे पहले विधानसभा से बर्खास्त एक दिव्यांग महिला कर्मचारी की मां की भी सदमे से मौत हो चुकी है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (परिचारक) हेमंती को सितंबर में जब बर्खास्त किया गया था तो उनकी मां यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई। हेमंती दिव्यांग हैं और अविवाहित हैं। नौकरी से हटाए जाने के बाद से उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है।