गंगापुर कबड़वाल में 70 बीघा में बनाई गई सरकारी गौशाला के शुरुवाती हालातों से किसान चिंतित।
गोशाला में रखे जानवर यहां के किसानों लिए बने मुसीबत का सबब।
हल्दूचौड़।
धार्मिक मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवी देवता निवास करते हैं किंतु देवभूमि उत्तराखंड में सनातन परंपरा की पैरवी करने के साथ ही गौ संरक्षण का दंभ भरने वाली भारतीय जनता पार्टी सत्तासीन है वावजूद पूजनीय गौ माताओं की दशा दयनीय है।
हालाकि सरकार गौशालाएं बनाकर गौ संरक्षण का दंभ भरती रहती है किंतु नगर निगम हल्द्वानी द्वारा गंगापुर कबड़वाल में 70 बीघा में बनाई गई सरकारी गौशाला के शुरुवाती हालातों से लगता है की सरकारी गौशालाओं के भरोसे गोवंश संवर्धन कभी नहीं हो सकता है। वर्तमान में यहां बनाई गई गोशाला में रखे जानवर यहां के किसानों लिए मुसीबत बन चुके है तराई केंद्रीय वन प्रभाग के जंगल से सटी उक्त ग्राम पंचायत के किसान पहले से ही जंगली जानवरों के आतंक के चलते बेहद परेशान थे ऐसे में अब गौशाला में रखे गए आवारा पशुओं के रात रात भर खेतों में आवाजाही के चलते किसान अपने खेतों में उगाई जाने वाली फसल की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं ऐसे में किसानों की आय दोगुना करने का दावा करने वाले सरकारी नुमाइंदो को इस विषय पर गंभीरतापूर्वक सोचने की जरूरत है ! जंगली हाथियों नीलगाय जंगली सूअर और बंदरों आतंक से यहां के किसान पहले से ही परेशान थे इधर पिछले चार-पांच वर्षों के दौरान आवारा पशुओं की संख्या बढ़ जाने के कारण किसानों का जीना दुश्वार हो गया है ।
अब गोशाला में रखे गए आवारा पशुओं की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या और देर सबेर उचित देखरेख के अभाव में किसानों की फसलों को चौपट कर रहे उक्त आवारा पशुओं से किसानों की फसलों की सुरक्षा नहीं की गई तो आगे चलकर स्थिति बद से बदतर हो जाएगी।
विधानसभा चुनाव में आवारा जानवरों की समस्या से किसानों को छुटकारा दिलाने का दावा करने वाली सतासीन सरकार का यह दावा क्या चुनावी जुमला बनकर रह जाएगा या धरातल पर भी कोई काम होगा यह तस्वीर अभी धुंधली दिख रही है। आवारा पशुओं से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए जगह-जगह गौशालाओं की स्थापना भले ही की जा रही हो किंतु जगह-जगह गौशाला खोलने के जो परिणाम अभी तक सामने आए हैं वह बड़े ही भयावह हैं। सरकारी गौशालाओं में पशुओं की जो दुर्दशा है वह किसी से छिपी नहीं है इन गौशालाओं में न तो ठीक से कोई शेड की व्यवस्था है और न ही चारे पानी की अधिकांश गौशालाओं में देखा जाए तो यह पशुओं के लिए कठोर यातना गृह बन कर रह गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि गौशालाओं के नाम पर केवल सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है। ऐसे में पशु संरक्षण के लिए सरकार द्वारा गौशालाओं का निर्माण कराकर आवारा पशुओं की समस्या से किसानों को छुटकारा दिलाने की बात महज एक दिव्यस्वप्न के रूप में दिखाई दे रही है।
अहम सवाल है किसानों को इस समस्या से मुक्ति कैसे मिलेगी ? सरकार को इस बारे में धरातल पर यथार्थ रूप से सोचना होगा और आवारा पशुओं से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए जो ठोस कार्य योजना बनाई जा रही हैं उसे मजबूती के साथ क्रियान्वित भी करना पड़ेगा । गांवों के किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि खेती किसानी के अलावा उनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है और वह किसान बेचारे जब मेहनत करके फसल उगाते हैं तो आवारा जानवर उनकी खड़ी फसल चर लेते हैं जाड़ा गर्मी बरसात हर मौसम में किसान बेचारे खेतों के किनारे रतजगा करके अपनी फसलों की सुरक्षा कर रहे हैं जंगली जानवरों के बाद अब आवारा पशुओं की वजह से बहुत से किसानों के खेत बंजर होने की कगार पर हैं। आवारा पशुओं की समस्या से किसानों को छुटकारा दिलाए जाने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि ग्राम सभा में कृषि योग्य भूमि की सुरक्षा के लिए किसानों को खेतों में बाड़ लगाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाए कृषि योग्य भूमि को बाड लगा कर घेर दिए जाने से फसलों का बचाव कुछ हद तक संभव हो सकता है। लेकिन गांव में किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह बाड लगाने के लिए संसाधन नहीं जुटा सकते यदि यह कार्य सरकार अपने हाथ में ले ले तो इस समस्या का समाधान बड़ी आसानी से हो जाएगा इसके अलावा प्रत्येक ग्राम पंचायतों को आवारा पशुओं के चारागाह की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी जाए। गांव में यदि गौशाला खोली भी जा रही है तो उन गौशालाओं के संचालन की जिम्मेदारी किसानों को दी जाए क्योंकि सरकारी स्तर पर गौशालाओं का रखरखाव और देखभाल गंगापुर कबड़वाल में नगर निगम हल्द्वानी द्वारा संचालित गोशाला के हालात देखकर संभव प्रतीत नहीं होते दिख रहे हैं।
आवारा पशुओं से किसानों को कैसे छुटकारा दिलाया जाए इस विषय पर किसानों की भी यही राय है वर्तमान हालातों को देखते हुए किसान भी खेतों में बाड लगाकर ही आवारा पशुओं से फसलों के बचाव होने की बात कह रहे हैं ।
फोटो। फसलों को चर कर किसान के बगीचे में आराम फरमाते गौवंश।