क्यों खास है विवेकानंद रॉक मेमोरियल? जहां चुनावों के बीच ध्यान लगा सकते हैं पीएम मोदी

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लोकसभा चुनाव के लिए 30 मई की शाम को प्रचार थम जाएगा। इस बीच मीडिया रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि, अंतिम चरण के मतदान से पहले पीएम मोदी कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी 30 मई की रात कन्याकुमारी पहुंचेंगे और अगले दिन विवेकानंद रॉक मेमोरियल जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव के लिए आखिरी चरण की वोटिंग एक जून को करवाई जाएगी।

स्वामी विवेकानंद 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने के लिए अमेरिका के शिकागो गए थे। यहीं पर उन्होनें वो भाषण दिया था, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। आज भी उनके भाषण की चर्चा होती है। कहा जाता है कि उस यात्रा से पहले उन्होनें 24 दिसबंर 1892 को कन्याकुमारी का दौरा किया था। यहां पर समंदर के किनारे से लगभग 500 मीटर दूर पानी के बीच में उन्हें एक विशाल शिला देखी। वो तैरकर वहां पहुंचे और ध्यान मग्न हो गए। आखिर में उन्हें अपने जीवन से जुड़े लक्ष्य और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान की प्राप्ति हुई और नरेंद्रस विवेकानंद बन गए।

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विवेकानंद रॉक मेमोरियल क्या है?
साल 1970 में इस शिला के पास स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया। इसमें चार मंडप हैं। इस मंदिर की आर्किटेक्चर डीटेल एंटीक स्टाइल की है। इसके 70 फीट ऊंचे गुबंद को लाल और नीले ग्रेनाइट से तैयार किया गया है। ये स्थान 6 एकड़ में फैला है।

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यहां पर 4 फीट ऊंची प्लैटफॉर्म पर स्वामी विवेकानंद की बड़ी मूर्ति भी स्थापित की गई थी। कांसे से तैयार इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब साढ़े 8 फीट है। इस चट्टान के साथ एक और कहानी जुड़ी हुई है। माना जाता है कि समंदर के पानी में स्थित इस चट्टान पर देवी कन्याकुमारी ने भगवान शिव की आराधना करते हुए तप किया था। उनके पैरों के निशान भी यहां पाए गए थे। इस वजह से ये जगह धार्मिक महत्व भी रखती है। स्मारक में एक सभा कक्ष भी है, जिसका नाम नमस्तुभ्यम जगदम्बा है और सभा मंडपम है। यह मेमोरियल एकता का प्रतीक है।

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