देहरादून। उत्तराखंड में नकली और अवैध दवाओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान ने बड़ा रूप ले लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर प्रदेश में औषधि नियंत्रण प्रशासन लगातार सक्रिय है। पिछले एक साल में 862 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी कर सैंपल एकत्र किए गए हैं। इन सैंपलों में से 52 की जांच जारी है, जबकि दो कंपनियों के लाइसेंस निरस्त करने और पांच कंपनियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करने की कार्रवाई की गई है। हाल ही में देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में लांघा रोड पर स्थित एक फैक्ट्री पर छापा मारा गया। यह फैक्ट्री फूड लाइसेंस की आड़ में अवैध दवाओं का निर्माण कर रही थी। छापेमारी में ग्रीन हर्बल नाम की इस फैक्ट्री से 1921 कैप्सूल/टैबलेट, 592 सिरप की बोतलें और 342 खाली रैपर बरामद किए गए। इस कार्रवाई में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि दो अन्य फरार हो गए। गिरफ्तार आरोपियों में संजय कुमार, शिव कुमार और रहमान शामिल हैं। फरार आरोपियों की तलाश जारी है।
औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गी ने बताया कि यह फैक्ट्री साइको ट्रॉपिक (मन प्रभावी) दवाओं का निर्माण कर रही थी, जो नशे के विकल्प के रूप में उपयोग की जाती हैं। इन दवाओं का निर्माण फूड लाइसेंस के तहत किया जा रहा था, जो कि अवैध है। बरामद दवाओं के सैंपल फोरेंसिक साइंस लैब भेजे गए हैं, जहां उनकी गहन जांच की जाएगी। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार, पिछले एक साल में नकली दवाओं के खिलाफ 862 जगह छापेमारी की गई है। इस दौरान 81 लाइसेंस सस्पेंड किए गए और नौ कंपनियों के निर्माण लाइसेंस निरस्त कर दिए गए। 72 कंपनियों के उत्पादों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई गई है। विभाग ने छह कंपनियों के परिसरों को सील किया है और दस कंपनियों के सेल लाइसेंस को रद्द करने की सिफारिश की है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि नकली दवाएं बनाने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग नशे और अवैध दवाओं के निर्माण को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है। अवैध दवा निर्माण और नशे की रोकथाम के लिए यह अभियान पूरे राज्य में जारी रहेगा।