उत्तराखंड के चम्पावत जिले के दूरस्थ रीठासाहिब जीआईसी में दो दिनों से छात्र व छात्राएं सामूहिक रूप से बेहोश हो रहीं हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि मास हिस्टीरिया से बच्चों मेंइस प्रकार की प्रवृत्ति आ रही है। हालांकि शिक्षा विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से स्कूल में जाकर छात्रों की काउंसिलिंग की मांग की है।
मंगलवार से स्कूल में तीन छात्रों समेत 24 छात्राओं के बेहोश होने का मामला प्रकाश में आया। इसके बाद बुधवार को भी पांच छात्राएं चीखने- चिल्लाने के बाद अजीब सा बर्ताव करने लगीं। इन दो दिनों में स्कूल में अलग-अलग कक्षाओं की 26 छात्राएं और तीन छात्र अचेत हुए हैं। पूर्व बीडीसी सदस्य कुंदन सिंह बोहरा ने बताया कि मंगलवार को इंटरवल के बाद नौंवी से इंटर तक की 24 छात्राएं चिल्लाने और रोने लगीं। स्कूल के स्टाफ ने अचेत हुईं छात्राओं को जब पानी पिलाया। तब जाकर वे होश में आईं। बुधवार को पांच छात्राएं फिर बेहाशी की हालत में चली गई। इससे स्कूल का स्टॉफ भी घबरा गया। इससे पूर्व जीआईसी रमक और पाटी के स्कूल में ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक मास हिस्टीरिया के लक्षणों से इस प्रकार की बेहोशी आ जाती है।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से स्कूल में जाकर सभी बच्चों की गंभीरता से काउंसिलिंग करने का अनुरोध किया है।
सीईओ जितेंद्र सक्सेना ने कहा है कि रीठा साहिब जीआईसी में दो दिन में 29 छात्राओं और तीन छात्रों को दौरे पड़े हैं। ये दौरे हिस्टीरिया जैसे हैं। छात्र-छात्राओं को समझाने के अलावा काउंसलिंग और इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग से आग्रह किया गया है। वहीं सीएमओ डॉ.केके अग्रवाल ने कहा है कि रीठा साहिब के जीआईसी में छात्राओं के अलावा कुछ छात्रों में हिस्टीरिया की शिकायत मिली है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को स्कूल में काउंसलिंग के लिए भेजा जाएगा।