चंपावत के बांस-बस्वाड़ी गांव के ग्रामीण लंबे समय से गर्सलेख से बस्वाड़ी के लिए सड़क की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों की मांग वर्षों के संघर्ष के बाद पूरी हुई। र्सलेख से सड़क का निर्माण कार्य हुआ लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते सड़क ढंग से नहीं बन पाई और उस सड़क में कभी गाड़ी नहीं चल सकी।
सड़क में ग्रामीण किसी तरह जान जोखिम में डालकर दोपहिया वाहन से आवागमन कर रहे थे। लेकिन बरसात होते ही सड़क नाले में तब्दील हो गई और कई स्थानों में गधेरे में समा गई। तब से ग्रामीण इसे ठीक करने की मांग कर रहे थे लेकिन शासन-प्रशासन ने नहीं सुनी। इसलिए गांव वालों ने इसे ठीक करने की जिम्मेदारी खुद ही उठा ली।
रोड खोलने के लिए ग्रामीण खुद जुटे
गांव वालों का कहना है कि उनके द्वारा शासन-प्रशासन से सड़क सुधारीकरण की गुहार लगाई गई। लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की सुध नहीं ली। तो मजबूर होकर क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान से सड़क खोलने का निर्णय लिया गया। ताकि दोपहिया वाहनों से आवागमन की व्यवस्था बनाई जा सके। सड़क खोलने में गांव के बुजुर्ग, युवा यहां तक की छोटे-छोटे बच्चे भी जुट गए हैं।
ग्रामीण नारायण दत्त तिवारी, त्रिलोचन जोशी, नीरज जोशी ने कहा चम्पावत जिले की इस सड़क की दुर्दशा देखने वाला कोई नहीं है। चम्पावत जिले के बांस बस्वाड़ी गांव के लोगों के लिए आज विधायक, जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री का महत्व शून्य हो चुका है क्योंकि आज उनकी समस्या सुनने तक कोई तैयार तक नहीं है।