नव कुंभ साहित्य सेवा संस्थान द्वारा श्री श्री गणपति बैंकट हॉल में काव्य गोष्ठी का सम्मान समारोह धूमधाम से किया आयोजन

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हल्द्वानी में जगदम्बा नगर स्थित श्री श्री श्री गणपति बैंकट हाॅल में नवकुम्भ साहित्य सेवा संस्थान द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन बड़े धूमधाम के साथ हुआ। जिसमें 20 वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान और 20 युवा कवियों का सम्मान किया गया। इस भव्य काव्य गोष्ठी का उद्देश्य वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान एवं नवांकुरों को मंच प्रदान करना है।

कार्यक्रम की शुरुआत सभी साहित्यकारों को तिलक कर कलम देकर की गई और विधिवत शुभारंभ मुख्य अतिथि एम. बी. काॅलेज हल्द्वानी में हिंदी की प्रवक्ता डा. दीपा गोबाड़ी , राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित विशिष्ट अतिथियों डा. प्रदीप कुमार उपाध्याय , मंजू पाण्डे ‘उदिता’ , विद्या महतोलिया ‘सौहार्द’ , प्रकाश चन्द्र तिवारी , संस्था के प्रदेश अध्यक्ष योगेश बहुगुणा ‘योगी’ , उपाध्यक्ष संजय परगाँई , सचिव ललित भट्ट एवं समस्त वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा संयुक्त रूप से मंत्रोचारण व वंदना के साथ दीप प्रज्वलन किया गया।

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इस काव्य गोष्ठी को चार सत्रों में संपन्न किया गया प्रत्येक सत्र का नाम उत्तराखंड के बड़े कवि के नाम पर रखा गया और सत्रों का संचालन संजय परगाँई , ललित भट्ट एवं योगेश बहुगुणा ने संयुक्त रूप से किया‌। मुख्य संचालक की भूमिका पर संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष कवि संजय परगाँई रहे।

भव्य काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रस , छंद और अलंकार भरी रचनाओं से समाँ बाँधा जिसमें युवा कवयित्री हिमांशी जोशी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि ” दुत्कार अपमान का भार सहकर जाने कब वह बड़ी हुई ,
परम्पराओं की सीढ़ी पर उसकी इच्छाएं चढ़ गई। “

युवा कवि हर्षित जोशी ‘अनाम’ ने कहा कि ” कुछ पल की हसरत है मोहब्बत यारों , जिस दिल में रहती है उसे ही तबाह करती है यारों ‌। “

करन आर्या ‘अज्ञात’ ने कहा कि ” यूं तो होते नहीं इत्तेफाक मोहब्बत में , तुम्हें हो गई मोहब्बत इत्तेफाक अजीब है। “

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युवा कवयित्री सुहानी जोशी ने पढ़ा कि ” अपनी व्यस्तता के बाद भी, मैंने कभी प्रेम को दोषी नहीं ठहराया। मैं अपनी मनोवृत्ति की कायल हूं, दूसरों के मन मुटाव की नहीं। “

युवा कवि आदित्य कुमार ने पढ़ा कि ” लुटाती है अपना सब कुछ जो हम पर वो देवी है देवी , वो औरत नहीं है। “

दीप्ति बसखेती ने पढ़ा कि ” जिंदगी की उल्फतों में कुछ ऐसे कैद हैं , कि आहटें मौजों की दिखती नहीं हैं। “

निरंजन राउत ने कहा कि ” न है विद्या धन के सिवा मेरे पास कोई दूजी पूंजी भी जिसे व्य करके मौज करूं और बोलूं पढ़ाई अब मुझसे न होगी‌। “

वरिष्ठ कवयित्री इंद्रा तिवारी ‘इंदु’ ने अपने काव्यपाठ के दौरान पढ़ा कि ” शब्द का एक अक्षर बना लो हमें। “

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वरिष्ठ कवयित्री बीना फुलेरा ने कहा कि ” देश के युवा उठो निज राष्ट्र ने फिर तुम्हें पुकारा है‌। “

मंजू जोशी ‘मनु’ ने कहा कि ” माँ मुझको वो आँचल दे दे , जो देश के काम आऊं मैं। “

वरिष्ठ कवयित्री पुष्पलता पुष्पांजलि ने पढ़ा कि ” कई शीश बिखरे थे माटी के कण ज्यों , दिल से जुबां थी सिर्फ हिंदुस्तानी। “

वरिष्ठ साहित्यकार रमेशचन्द्र द्विवेदी ने कहा कि ” आजादी की जिम्मेदारी सौंपी जिसके हाथ , लूट रहे हैं देश हमारा नेता अफसर साथ में। “

प्रदेश उपाध्यक्ष संजय परगाँई ने बताया कि उन्होंने हल्द्वानी के सभी वरिष्ठ कवियों को सम्मानित करने लिए और नवांकुरों को मंच प्रदान के लिए आमंत्रित किया था। जिसमें 40 साहित्यकार मौजूद थे। कार्यक्रम का समापन सभी को सतरंगी अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर किया गया।

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