स्कूल में बैठी बेहोश होने लगी एक के बाद एक छात्रा, प्रबंधन के फूले हाथ पांव

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उत्तरकाशी जिले में धौंतरी उपतहसील के राजकीय इंटर कॉलेज कमद में गई छात्रा एक के बाद एक बेहोश हो गई। छात्राओं की हालत देख अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के हाथ पांव फूल गए। कक्षा में बैठी सभी छात्राओं को शिक्षकों ने कक्षा से बाहर निकाला।

छात्राओं को बेहोश होता देख फूले प्रशासन के हाथ पांव
बता दें उत्तरकाशी के धौंतरी उपतहसील के राजकीय इंटर कॉलेज कमद में छात्राएं एक-एक कर रोते हुए चिल्लाने लगी। जिसके बाद 10 छात्राएं बेहोश हो गई। शिक्षकों ने घटना की जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को देते हुए मामले का संज्ञान लेने को कहा है।

ग्रामीण छात्राओं की हालत बिगड़ती देख स्थानीय देवता के पास ले गए। जिससे किसी तरह का दोष होने पर बच्चों को सही किया जा सके। हालांकि शिक्षा विभाग इस मामले को मास हिस्टीरिया मान रहा है।

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पूर्व में भी सामने आ चुके हैं इस तरह के मामले
बता दें इससे पहले भी बागेश्वर और चंपावत जिले से इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। जिसके बाद कुछ अभिभावक ने इसे दैवीय प्रकोप बताया था। जबकि शिक्षा विभाग ने इसे मास हिस्टीरिया बताया था।

जानें क्या होता है मास हिस्टीरिया
मास हिस्टीरिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर या साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है। साइकेट्रिस्ट के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति मेंटली या इमोशनली परेशान होता है, तो अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता है और असामान्य हरकतें करता है।

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इसमें एक व्यक्ति को ऐसा करते देख दूसरा, तीसरा और कई लोग असामान्य हरकतें कर सकते हैं। इसमें व्यक्ति अंदर ही अंदर घुट रहा होता है और अपना दर्द किसी को नहीं बता पाता है। वह चाहता है कि लोग उससे बात करें और उसकी समस्याएं पूछें।

किन लोगों में मास हिस्टीरिया की समस्या ज्यादा होती है
ये समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है, जो कम पढ़ी-लिखी हैं या फिर जो अपनी इच्छा और मन की बात को अंदर ही दबा देती हैं। किसी से कुछ कह नहीं पाती हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि ये महिलाओं को ही हो। वक्त के साथ-साथ कई पुरुषों में भी हिस्टीरिया की समस्या देखी गई है।

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मास

पेट या सिर दर्द
बालों को नोंचना
हाथ पांव पटकना
इधर-उधर भागना
रोना और चिल्लाना
गुस्सा करना
उदास रहना
थोड़ी देर के लिए बेहोश होकर अकड़ जाना
भूख और नींद में कमी आना
मास हिस्टीरिया के पेशेंट का कैसे करे इलाज
सबसे पहले उसे साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए।
साइकोलॉजिस्ट उसकी दबी हुई इच्छाएं पूछकर बाहर लाने की कोशिश करते हैं।
पेशेंट की फैमिली को जागरूक और एजुकेट करते हैं।
पेशेंट की काउंसलिंग चलती है और उसे मेडिटेशन करवाया जाता है।
हिप्नोथेरेपी से पेशेंट को काफी मदद मिलती है।
हिप्नोथेरेपी में पेशेंट की दबी इच्छाओं को बाहर निकाला जाता है और उसकी मेंटल कंडीशन दूसरी बनाई जाती है।

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