अफ्रिकन स्वाइन फ्लू की दहशत पूरे उत्तराखंड में है। उत्तराखंड में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की दस्तक के बाद कई संदिग्ध सुअरों को लगातार मारा जा रहा है। राजपुरा क्षेत्र में भी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने के बाद पशुपालन विभाग के टीम द्वारा हल्द्वानी के राजपुरा क्षेत्रों से बीमार सुअरो ब्लड रिपोर्ट जांच के लिए एनआईएचएसएडी भोपाल को भेजा गया था जिसमें 8 सुअरो के रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पशुपालन विभाग में हड़कंप मच गया।
आनन-फानन में पशुपालन विभाग ने नगर निगम, पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बीमार सूअरों को मारने की कार्रवाई की गई जहां डॉक्टरों की टीम द्वारा उनको बेहोश कर वैज्ञानिक तरीके से मारने की कार्रवाई की गई जिसके बाद वैज्ञानिक तरीके से उनको डिस्पोज किया गया। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस जंगपांगी ने बताया कि राजपुरा और जवाहर नगर क्षेत्र में स्वाइन फ्लू की दस्तक को देखते हुए पशुपालन विभाग की टीम ने इन सूअरों की ब्लड रिपोर्ट लैब को टेस्ट के लिए भेजा था जिसके बाद इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
जिसके बाद इन सुअरो को जिला प्रशासन की अनुमति के बाद मारने की कार्रवाई की गई है।
जाने क्याहै अफ्रीकन स्वाइन फीवर या फ्लू?
अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इसके संक्रमण से सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था.इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं, जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सुअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.