राज्य में लगातार धामी सरकार द्वारा कई स्तर पर काम किया जा रहा है जब से राज्य में सीएम पुष्कर सिंह धामी दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए है लगातार धामी सरकार द्वारा जनता से लेकर सरकारी कामों में भी नए नए एक्शन लिए जा रहे है धामी सरकार द्वारा एक नया एक्शन लिया गया है जिसमे अब उत्तराखंड में बड़ा लोन से लेने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी।
इसका उद्देश्य फर्जीवाड़ा से बचने और उस पर लगाम लगाने के लिया यह फैसला लिया गया है। राज्य में धामी सरकार द्वारा सहकारी बैंकों में बड़े लोन फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने की कवायद हो गई है। अब एक करोड़ से ऊपर के लोन देने के लिए शासन से मंजूरी लेनी होगी। सरकार ने बैंकों को यह प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिए हैं।
राज्य में सहकारी मिनी बैंक, जिला सहकारी बैंक समेत राज्य सहकारी बैंकों की ओर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। करोड़ों के बड़े लोन कई बैंकों के स्तर से संयुक्त रूप से भी दिए जाते हैं। लगातार शिकायतें आ रही हैं कि ऋण देने में तय मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।
बता दें की जितना लोन लेना होता है, उससे डेढ़ गुना अधिक कीमत की संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जो सर्किल रेट का डेढ़ गुना होनी चाहिए। पिछले कुछ सालों में बहुत कम सिक्योरिटी और कई बार तो बिना सिक्योरिटी के फर्जी कागजों के आधार पर ही ऋण दे दिए गए। जिसे बाद में वसूलना मुश्किल हो गया।ऐसे मामलों में अब सरकार द्वारा सख्ती के साथ रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। गाइड लाइन बनाई जा रही है कि एक करोड़ से ऊपर के लोन मंजूर करने से पहले शासन की मंजूरी लेनी होगी।
जानकारी के मुताबिक आपको बता दे की बिना एमडी की मंजूरी के 8.5 करोड़ रुपये जारी करने पर बैंक मैनेजर को एमडी नीरज बेलवाल ने निलंबित कर दिया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने मैनेजर को राहत देते हुए निलंबन वापस कर दिया। वहीं सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि बैंकों से लोन देने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा रहा है। एक करोड़ से ऊपर के लोन की मंजूरी को रजिस्ट्रार और शासन स्तर से मंजूरी लेने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
अब जिला सहकारी बैंक भर्ती फर्जीवाड़े में कार्रवाई की फाइल शासन में डंप हो गई है। एक सप्ताह पहले जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की फाइल सहकारिता अनुभाग से आगे बढ़ा दी गई थी। जो अभी तक सचिव सहकारिता के पास नहीं पहुंची है। देहरादून, यूएसनगर और पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंक में चतुर्थ श्रेणी के 423 पदों पर भर्ती में गड़बड़ी हुई थी। तय भर्ती प्रक्रिया से हटकर बैंकों ने अपने स्तर पर भर्ती के नियम तय कर दिए थे। नंबरों में हेराफेरी की गई थी, जिससे पूरी मेरिट ही बदल दी गई थी।
बता दें की इस मामले में संयुक्त निबंधक नीरज बेलवाल जांच समिति ने बेहद सख्त रिपोर्ट शासन को जमा कराई। तीन अक्तूबर को ये जांच रिपोर्ट सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम को दी गई। सचिव ने महज चंद घंटों के भीतर ये रिपोर्ट अनुभाग को भेज कर कार्रवाई को फाइल तैयार करने के निर्देश दिए। अब एक सप्ताह बाद भी ये फाइल सचिव सहकारिता के ऑफिस नहीं पहुंच पाई। वहीं सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम का कहना है कि जैसे ही फाइल पहुंचती है, तो तत्काल उस पर फैसला लिया जाएगा।
राज्य सहकारी बैंक और पांच जिला सहकारी बैंकों ने मिल कर एक रिजॉर्ट के लिए कुल 81 करोड़ का ऋण मंजूर कर दिया। पहले रिजॉर्ट को 56 करोड़ का लोन मंजूर किया गया। इस लोन की किश्तों का भी समय पर भुगतान नहीं किया। इसके बाद भी दोबारा 25 करोड़ का लोन और मंजूर कर दिया गया। इस मंजूर लोन में से 8.5 करोड़ बिना एमडी की मंजूरी के ही दे दिए गए।