सोबन सिंह जीना विवि के एसएसजे परिसर में बीएससी पाठ्यक्रम को सेल्फ फाइनेंस में शुरू करने को लेकर छात्र कड़ा विरोध कर रहे हैं। अब परिसर के पूर्व निदेशक ने भी इस मामले में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम नियमानुकूल नहीं है।
इस मामले में छात्रों ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और सोबन सिंह जीना परिसर के अधिष्ठाता छात्र प्रशासन प्रोफेसर प्रवीण बिष्ट का घेराव किया। इस दौरान छात्रों और प्रशासन के बीच काफी देर तक ग़हमागहमी हुई। छात्र नेताओं ने प्रशासन पर कई आरोप लगाए। कहा की विश्वविद्यालय में सेल्फ फाइनेंस कोर्स सिर्फ विद्यार्थियों को लूटने का एक माध्यम है छात्र नेताओं ने कहा कि सेल्फ फाइनेंस में अभी तक ₹5000000 शेष बचा हुआ है उस पैसे को निर्धारित समय पर यूटिलाइज नहीं किया जाना छात्र-छात्राओं के शिक्षा के साथ खिलवाड़ है। छात्रों ने आगे कहा कि पूर्व भी बीएससी में सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रम को शुरू किया गया था। कभी भी विद्यार्थियों को प्रायोगात्मक कक्षाओं का सुचारू रूप से संचालन नहीं हो पाया। इस दौरान छात्र नेताओं ने सेल्फ में हो रहे प्रवेशों को बंद करवाया। कहा कि सभी बच्चों को रेगुलर मोड में प्रवेश दिया जाए। छात्र नेताओं ने कहा की पिछले वर्ष रेगुलर बीएससी में 160 से 180 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। इस वर्ष यह सभी सीट घटाकर 100 कर दी गई जो की गरीब और पहाड़ी परिवेश से आने वाले छात्रों के लिए धोखा है। छात्र नेताओं ने आगे कहा की शिक्षा के व्यवसायिकरण को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
पूर्व निदेशक ने कहा,बीएससी में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम चलाया जाना उचित नहीं…….
सोबन सिंह जीना विश्व विद्यालय के एसएसजे परिसर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर नीरज तिवारी ने कहा कि
उनके विचार से नव श्रृजित विश्वविद्यालय में बीएससी में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम चलाया जाना उचित एवं नियमानुकूल नहीं है। नये विश्वविद्यालय को इस उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया है कि सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के निर्धन विद्यार्थियों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा प्रदान की जा सके। नये विश्वविद्यालय में सभी पाठ्यक्रमों में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए ताकि अधिकाधिक संख्या में निर्धन छात्र भी उच्च शिक्षा का लाभ उठा पायें। इसके लिए उन्होंने कहा कि कुलपति को सरकार से शीघ्रातिशीघ्र नये पदों के श्रृजन एवं प्रयोगशालाओं हेतु अनुदान राशि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। छात्रों से अधिक शुल्क वसूल कर स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम चलाना किसी भी प्रकार से समस्या का समाधान नहीं माना जा सकता है। इसके बजाय सरकार पर दबाव बना कर सरकार से अतिरिक्त सीटों के लिए संसाधनों की मांग की जानी चाहिए। परिसर प्रशासन द्वारा इस वर्ष बीएससी में गत कई वर्षों की तुलना में न्युनतम सीटें निर्धारित किया जाना भी छात्र हित में उचित प्रतीत नहीं होता है। विश्वविद्यालय छात्रों के हित में कार्य करने के लिए बनाया गया है और हम सभी का कर्तव्य होता है कि हम छात्र हितों को देखते हुए ही निर्णय लें। मंहगाई और कोरोना जैसी महामारी का सामना करती हुई पर्वतीय आंचल की निर्धन जनता पर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर अतिरिक्त शुल्क का बोझ डालना उचित प्रतीत नहीं होता है। जो पाठ्यक्रम नियमित मोड में परिसर में पूर्व से संचालित हो रहे हैं, उन्ही पाठ्यक्रमों को साथ-साथ स्ववित्त पोषित मोड में चलाया जाना उत्तराखंड शासन के शासनादेशों के भी अनुरूप नहीं है। मैं इस नव श्रृजित विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रोफेसर नरेन्द्र सिंह भण्डारी से निवेदन करता हूँ कि वो इस विषय पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए समाज एवं छात्रों के हित में निर्णय लेने का कष्ट करें ताकि नव श्रृजित विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके एवं उच्च शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने में सफल हो सके