अवैध खनन के काले कारोबार उत्तराखंड राज्य के शहीदों और आंदोलनकारियों के सपनों को चकनाचूर किया

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एवं उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी डॉ० गणेश उपाध्याय ने कहा है कि अवैध खनन के काले कारोबार ने उत्तराखण्ड राज्य के शहीदों और आंदोलनकारियों के सपनों को चकनाचूर किया है तथा भ्रष्टाचार ने उत्तराखण्ड के स्वर्णिम इतिहास को कलंकित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि उत्तराखंड में अवैध खनन जुर्माना की 1386 करोड़ की वसूली सरकार नहीं कर पाई। साथ ही इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सरकारी एजेंसियों ने ही अवैध खनन कराया है तथा खनन विभाग, जिला कलेक्टर, पुलिस विभाग, वन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम जैसी संस्थाए अवैध खनन को रोकने और उसका पता लगाने में विफल रही हैं। वहीं उत्तराखण्ड की जीरो टोलरेंस भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होने कहा कि जब माननीय हाईकोर्ट उत्तराखंड के 19/12/2022 के रिट याचिका संख्या 169/2022 के निर्णय में स्पष्ट रुप से नदियों में खनन कार्यों में किसी भी प्रकार की मशीनरी के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है तो उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 02 मई 2023 को उद्योग निदेशालय उत्तराखण्ड के निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई द्वारा समस्त जिला खान अधिकारियों को प्रेषित आदेश में राज्य सरकार के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा पारित रिट याचिका संख्या 169/2022 के आदेश के विरूद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली मे विशेष अनुज्ञा याचिका योजित करने का निर्णय लेने का उल्लेख किया गया है, जिसमें ऐसे नदी तल क्षेत्रों को चिन्हित करने का आदेश दिया गया है जिनमें ड्रेजिंग कार्य मशीनों द्वारा किया जाना हो। इससे पता चलता है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। उन्होने कहा कि उत्तराखंड राज्य की नदियों में बड़े पैमाने पर अवैज्ञानिक और अनियमित मशीनीकृत रिवर बेड खनन गम्भीर चिंता का विषय है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।

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