केंद्र की सेवा में जल्द जाने वालों में 1997 बैच के Ramesh Kumar Sudhanshu और 1999 बैच के Amit Singh Negi शुमार हैं। पांत में कुछ और भी हैं। माना जा रहा है कि ACS और 1992 बैच के आनंदबर्द्धन तथा 2002 बैच के नितेश झा,शैलेश बगौली,2003 बैच के सचिन कुर्वे और कुछ अन्य नाम भी Govt Of India में जाने के लिए सामने आ सकते हैं।
केंद्र में जो नौकरशाह पहले से सेवा में हैं, उनमें D Senthil Pandiyan (2002 बैच), आशीष जोशी (2006 बैच),ज्योति यादव (2009 बैच),मंगेश घिल्डियाल (2012 बैच) हैं। State Deputation (श्रीधर बाबू अद्दांकी-2008 बैच-आंध्र प्रदेश) और राघव लांघर (2009 बैच-Jammu-Kashmir) पर भी अफसर हैं। इसके साथ ही कई युवा नौकरशाह (V षणमुगम-2007 बैच,नीरज खैरवाल-2007 बैच, सविन बंसल-2009 बैच) Study Leave पर हैं।
संकट यहीं खत्म नहीं होने वाला है। Chief Secretary रह चुके Chief Commissioner of Revenue Board ओमप्रकाश भी इसी साल 5वें महीने (मई) में अपनी सेवा पूरी कर लेंगे। अगर 10 मार्च को विधानसभा चुनाव नतीजे सामने आने के बाद मुख्य सचिव बदल दिए जाते हैं तो डॉ. सुखबीर सिंह संधु के पास भी केंद्र में लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा। वरिष्ठता के मुताबिक राधा रतूड़ी अब अगले मुख्य सचिव बनने की राह पर अग्रसर है। संधु और राधा एक ही बैच (1988) के हैं।
अखिल भारतीय आईएएस सिविल सेवा लिस्ट में राधा की रैंकिंग संधु से ऊपर हैं। वह पहले UP फिर उत्तराखंड कैडर में अन्य कैडर MP से आईं। इसके चलते नियमानुसार उनको सुखबीर से नीचे आना पड़ा। मुख्य सचिव आम तौर पर गोपन के अलावा और कोई महकमा अपने पास नहीं रखते हैं। ऐसे में एक सचिव राधा के CS बनने से और कम हो जाएगा।
सरकार के पास पक्के वाले और काम चलाऊ मिला के तकरीबन 22 प्रभारी सचिव और ऊपर तक के ओहदे वालों की सूची है। राज्य चलाने के लिए ये वाकई बहुत छोटी नफ़री है। ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड के नौकरशाहों में केंद्र को ले के अचानक दिलचस्पी बढ़ी है। अगर तह तक जाया जाए तो एहसास हो जाता है कि अधिकांश भविष्य को ले के केंद्र में जाना चाह रहे हैं। अमित नेगी 23वें साल में ही IAS अफसर बन गए थे। उनकी लंबी नौकरी बची हुई है। वह केंद्र सरकार में भविष्य में बढ़िया पोस्टिंग पाने के हकदार हैं।
केंद्र सरकार की पॉलिसी है कि भारत सरकार में अपर सचिव या सचिव स्तर पर चयनित होने के लिए किसी भी कैडर के अफसर को उससे पहले कम से कम 3 या 5 साल की केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवा देनी होगी। जिन नौकरशाहों को महसूस होता है कि वे भविष्य में केंद्र सरकार की सेवा में जाने की तगड़ी अर्हता रख सकते हैं, वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कसर नहीं छोड़ रहे। उनको लगता है कि उत्तराखंड में वे मुख्य सचिव कभी भी किसी की भी सरकार में बन सकते हैं। बेहतर होगा कि केंद्र में सेवा कर भविष्य की सोच रखी जाए।
कई मुख्य सचिव ऐसे भी रहे हैं, जो केंद्र की सेवा में नहीं गए। उन्होंने इसकी बजाए अपने राज्य में ही सेवा देने का फैसला किया। नृप सिंह नपल्च्याल,सुभाष कुमार, राकेश शर्मा, S Ramaswamy इनमें शामिल हैं। DoPT के प्रस्तावित संशोधित नियम के मुताबिक अब अगर कोई अफसर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाते हैं तो उनको State Cadre से ही हटाया भी जा सकता है। अपने भविष्य को ले के फिक्रमंद युवा और लंबी सेवा बचाए रखने वाले नौकरशाह केंद्र में जाने को अब आना कानी कर भी नहीं रहे।
इतनी अधिक तादाद में नौकरशाह केंद्र और राज्य Deputation में चले जाएंगे तो उत्तराखंड के पास नौकरशाह बहुत कम रह जाएंगे। उनकी कमी के चलते प्रभारी सचिवों से ही काम लिया जाना बाध्यता होगी। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के पीछे उत्तराखंड कैडर के लोगों की दिलचस्पी केंद्र के प्रति बढ़ना और राज्य के ठप्प तंत्र से बेहाल होना है। इतने अधिक अफसरों के उत्तराखंड से प्रतिनियुक्ति पर निकलना बाद में राज्य के विकास के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है।