दिल्ली मॉडल पर काम करने का वादा करने वाली आम आदमी पार्टी ने भले ही पंजाब में सरकार बना ली हो। लेकिन उत्तराखंड में पार्टी का खाता तक नहीं खुला है। और तो और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ढेर सारी गारंटी के बाद भी उत्तराखंड की जनता ने आप के पक्ष में वोट नहीं दिया।
लाजमी है कि उत्तराखंड के 22 साल के इतिहास में भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही लड़ाई रही है। देवभूमि की जनता ने कभी भी तीसरे विकल्प के रूप में किसी पार्टी को नहीं अपनाया। इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड की 70 की 70 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए थे। लेकिन ताज्जुब की बात है कि पार्टी का कोई भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका।
आम आदमी पार्टी सबसे पहली पार्टी थी, जिसने उत्तराखंड में सीएम का चेहरा घोषित किया था। उन्होंने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का फेस बनाया था। लेकिन गंगोत्री के चुनावी मैदान पर कर्नल कोठियाल अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। उन्हें मात्र 6161 वोट मिले। अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो उन्हें मात्र 10.33 फीसदी वोट मिले। गौरतलब है कि पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के तमाम प्रमुख नेताओं ने राज्य के कई दौरे किए थे।
आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड के लोगों के सामने दिल्ली का मॉडल रखा था। पार्टी तमाम तरह की बुनियादी सुविधाओं को मुफ्त देने का वादा कर रही थी। जिसमें 10 गारंटी और 119 वादे शामिल थे। इन बातों में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना, प्रत्येक घर को 300 यूनिट फ्री बिजली देना और हर युवा को रोजगार, नौकरी ना मिलने तक ₹5000 हर महीना भत्ता देने का वादे शामिल थे। लेकिन उत्तराखंड की जनता ने इन सभी वादों को किनारे करते हुए आप के खाते में वोट नहीं किया। ऐसे में यह कहना सही होगा कि दिल्ली मॉडल को उत्तराखंड में दिखाकर वोट पाने की AAP की चाहत सफल नहीं हुई।