एसटीएफ ने देहरादून से दो जाली डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। ये जाली डॉक्टर कर्नाटक की एक यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री लेकर 10 सालों से रायपुर और प्रेमनगर में प्रैक्टिस कर रहे थे। इसके अलावा एसटीएफ ने दावा किया था कि प्रदेश में ऐसे 36 डॉक्टर और हैं, जो फर्जी डिग्रियों के आधार पर अपना धंधा चलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
हाल ही में डाॅक्टरों की फर्जी डिग्री बनाने वाले दो भाइयों की कहानी सामने आयी है। बताया जा रहा है कि दोनों जालसाज भाई सिर्फ 10वीं पास हैं। इन्होंने सैकड़ों ग्रेजुएट लोगों को फर्जी डिग्रियां बेचकर मुजफ्फरनगर में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। जो कॉलेज दोनों भाई चलाते हैं, वह भी 108 बीघा में फैला हुआ है। इसके अलावा दोनों के और भी अवैध धंधे हैं, जिनके कारण ये उत्तर प्रदेश पुलिस के रडार पर रहते हैं। इनके बारे में यूपी पुलिस को भी जानकारी दे दी गई है।
जानकारी देते हुए एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि इमरान नाम के आरोपी के खिलाफ सबसे पहला मुकदमा वर्ष 2008 में दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी इसी तरह से फर्जी डिग्री बेचने के संबंध में था। पूछताछ में आरोपी ने बताया है कि वह इस काम को अपने भाई के साथ मिलकर लंबे समय से कर रहा है। इससे पहले उसे एक बार लखनऊ पुलिस ने भी गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने कई लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची हैं। लेकिन, हर बार की तरह वह इस मुकदमे से भी निकल आया।
इमरान मुजफ्फरनगर जिले का हिस्ट्रीशीटर भी है। उसके खिलाफ 10 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी ने न सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि अन्य कई राज्यों में भी फर्जी डॉक्टर बनाए हैं। एसएसपी ने बताया कि इनकी संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है। आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर में भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में नियमानुसार इनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।