प्रदेश के मुखिया बने पुष्कर सिंह धामी के आगे सबसे बड़ी चुनौती विधायक बनने की है। चूंकि विधानसभा चुनाव में उन्हें अपनी खटीमा सीट से हार का सामना करना पड़ा था, इसलिए सीएम बनने के छह महीने के अंदर उन्हें किसी सीट से उपचुनाव जीतना पड़ेगा। अब सीएम धामी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, इसपर भाजपा में तो चर्चा जारी है ही लेकिन कांग्रेस में बड़ा डर का माहौल है। कांग्रेस को ये डर सता रहा है कि कहीं साल 2007 की तरह सीएम के लिए कांग्रेस का कोई विधायक सीट खाली ना कर दे।
बता दें कि पहले भी दो बार उत्तराखंड में ऐसा हो चुका है जब गैर विधायक सीएम के लिए विपक्षी दल में सेंध लगाकर ही विधानसभा जाने का रास्ता बनाया गया है। साल 2007 में भाजपा सरकार के सीएम खंडूड़ी के लिए कांग्रेस विधायक लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत (रि) ने सीट छोड़ी थी। जबकि वर्ष 2012 में आई कांग्रेस सरकार ने तत्कालीन सांसद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया था। मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा के लिए सितारगंज से भाजपा विधायक किरन मंडल ने विधानसभा सीट खाली की थी।
हालांकि इस बार माहौल पहले से अलग है लेकिन राजनीति में कुछ नहीं कहा जा सकता। मौजूदा समय में भाजपा के ही कई सारे विधायक सीएम धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। लेकिन फिर भी पार्टी का एक धड़ा कांग्रेस के विधायक से सीट खाली कराकर राजनीतिक और मानसिक रूप से जीत हासिल करने की चर्चा कर रहा है। बता दें कि इसी मुद्दे पर कांग्रेस मुख्यालय में शुक्रवार को खासी चर्चा हुई। इस दौरान कुछ कांग्रेस नेताओं ने निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के सामने अपनी इस चिंता को जाहिर किया।
मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ दिनों से ये सामने आ रहा है कि कोई कांग्रेसी विधायक भाजपा के संपर्क में है। ऐसे में कांग्रेसियों का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो यह काफी दुखद होगा। हालांकि प्रीतम सिंह की मानें तो अब भाजपा की कोई साजिश कामयाब नहीं होने वाली है। इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत अभी भाजपा के पास छह माह का वक्त है। सही समय पर सही निर्णय लिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज बताया।