उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में चौकी इंचार्ज द्वारा सिख युवक के साथ की गई अभद्रता और धार्मिक प्रतीकों के अपमान मामले में उत्तराखंड सिख फेडरेशन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। फेडरेशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने कहा है कि संविधान किसी भी समुदाय पर अपमानजनक टिप्पणी करने या उनके धार्मिक प्रतीकों और चिन्हों का अनादर करने का अधिकार पुलिस को नहीं देता। फेडरेशन ने इस मामले की जांच की मांग की है।
दरअसल दो दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक उधम सिंह के रुद्रपुर का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक पुलिस कर्मी एक सिख युवक को पकड़े हुए दिख रहा है। आरोप है कि पुलिस कर्मी ने सिख युवक की पगड़ी को खींचा। इसे लेकर खासा हंगामा भी हुआ। एसएसपी ने इस मामले आरोपी पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर भी कर दिया।
अपमानजनक टिप्पणी का अधिकारी नहीं
वहीं अब सिख फेडरेशन ने कहा है कि देश में किसी भी समुदाय पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं की जा सकती है। अमरजीत सिंह ने कहा है कि इस मामले की जांच हो और यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है और जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो पुलिस को कानून के अनुसार कार्रवाई करने का अधिकार है। अमरजीत सिंह ने कहा है रुद्रपुर में पुलिस ने जिस युवक को पकडा वो कोई अपराधी नहीं था, बल्कि इसी देश का नागरिक है। यदि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन हुआ था, तो उस पर वाहन जब्त करने या अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन चौकी इंचार्ज द्वारा किया गया कृत्य सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने और प्रदेश में वैमनस्य फैलाने वाला प्रतीत होता है, जिसका समर्थन किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता।
सांप्रदायिक सोच हावी होने लगी है
देश के बदलते माहौल में उधम सिंह नगर में सिख युवक के साथ हुई इस घटना ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है जो लगातार सांप्रदायिक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं, और वह सोच अब सरकारी तंत्र पर भी हावी होती दिख रही है, जो देश के हित में नहीं है।
यूनाइटेड सिख फेडरेशन ने उधम सिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा का आभार प्रकट किया है और कहा है कि, एसएसपी ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सिख युवक की पगड़ी और कड़े का अपमान करने वाले चौकी इंचार्ज पर त्वरित कार्रवाई कर उन्हें लाइन हाजिर किया। फेडरेशन ने मांग की है कि दोषी चौकी इंचार्ज संदीप पिलख्वाल को तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और एक उदाहरण स्थापित हो सके।