उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए कई सालों का संघर्ष चला था. तब एक ऐसा आंदोलन खड़ा किया गया था जहां क्या पुरुष, क्या महिला सभी ने अपनी भागीदारी दी थी। देवभूमि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड कभी अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन अलग मुद्दे, अलग समस्याओं ने समय-समय पर इसके अलग राज्य बनाने की मांग को मुख्य किया। मांग दशकों पुरानी थी लेकिन यह संघर्ष काफी मुश्किल रहा। किसी भी राज्य का बंटवारा कर देना एक बड़ा पड़ाव होता है, इसके लिए बलिदान देने होते हैं, आंदोलन करना होता है और कई मौकों पर अपनी जिंदगी की भी कुर्बानी देनी होती है, सीने पर गोलियां खानी पड़ती है।
ऐसे ही उत्तराखण्ड के रुड़की के रहने वाले एक राज्य निर्माण आन्दोलनकारी है ‘प्रकाश कांति’। राज्य के लिए पुलिस की गोलियां खाने वाले रूड़की निवासी प्रकाश चन्द कांति जिस अलग राज्य का सपना लेकर आंदोलन की राह पर निकले थे और जिस राज्य को बनाने के लिए उनके साथी आंदोलनकारियों ने बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी। आज वही राज्य राजनीतिक दलों की कुत्सित राजनीति का शिकार हो कर रह गया है। उत्तराखण्ड में राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए उत्तराखण्ड राज्य की जड़ों को खोखला कर दिया है। वहीं पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले आन्दोलकारियों की हमेशा से उपेक्षा होती रही है। राज्य स्थापना दिवस पर ही राजनेताओं को आन्दोलकारियों की याद आती है। गौरतलब है कि प्रकाश चन्द कांति मुजफ्फरनगर कांड की घटना पर विरोध जताते हुए रूड़की में बीएसएम कालेज के पास पुलिस की गोली का शिकार हो गये थे। जिसके चलते वे व्हीलचियर पर सिमट कर रह गए हैं। गोली लगने से अपने पैरों से पूर्णतया दिव्यांग हो चुके प्रकाश कांति राज्य के मौजूदा हालात पर कई बार बेहद नाराजगी जताते रहे हैं। और उनकी नाराजगी भी जायज है, उत्तराखंड निर्माण से लेकर वर्तमान 22 सालों में उत्तराखण्ड में सत्ता संभालने वाली सभी सरकारों ने उत्तराखंड निर्माण के लिए गोली खाने वाले घायल एवं पूर्ण विकलांग प्रकाश कांति जैसे महान आंदोलनकारियों की हमेशा उपेक्षा की है। उत्तराखंड में आने और जाने वाली सरकरें अब तक उन्हें सही मायने में सम्मान देना तो बहुत दूर की बात उनकी बीमारी, इलाज और दवाईयों तक का खर्चा वहन नहीं कर रही। वहीं उत्तराखंड जैसे गरीब प्रदेश के मंत्री, सांसद, विधायक, मेयर और राजनेता प्रदेश को दोनों हाथों से लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। आज प्रदेश में जरुरत इस बात की है कि हमारी धरोहर के रुप में प्रकाश कांति जैसे महान राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों को राज्य सरकार द्वारा विशेष सम्मान और अच्छी पेंशन तथा बीमारी के इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। तभी देवभूमि उत्तराखंड की देव संस्कृति और जनता राजनेताओं को माफ करेगी।