पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल जी का अतुलनीय योगदान है गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री कुंज के निर्माण में

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गायत्री जयंती पर विशेष आलेख
गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ में आज गायत्री जयंती धूमधाम से मनाई गई विधायक डॉ मोहन बिष्ट ने इसका शुभारंभ किया गायत्री जयंती को अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक वेद मूर्ति पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का महानिर्वाण दिवस भी कहा जाता है उन्होंने आज ही के दिन अपनी देह का त्याग कर परम सत्ता की ब्रह्म ज्योति में प्रवेश किया वर्ष 1987 में गायत्री शक्ति पीठ की स्थापना हल्दूचौड़ में की गई तब गिनती भर के कार्यकर्ताओं से शुरू हुआ गायत्री परिवार आज विशाल रूप ले चुका है तथा हल्दूचौड़ एवं आसपास में गायत्री परिवार के कई समर्पित कार्यकर्ता हैं यही वजह है कि इसको कुमाऊं का प्रमुख जोनल केंद्र भी बनाया गया है

गायत्री शक्तिपीठ के निर्माण में पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल का अतुल्य योगदान है पूर्व संयुक्त शिक्षा निदेशक गौरी दत्त ओझा तथा राजकीय इंटर कॉलेज हल्दूचौड़ में हिंदी के प्रवक्ता रहे नवीन जोशी के समग्र प्रयासों के बाद तपोनिष्ठ राम सिंह मेहता को गायत्री शक्तिपीठ के संचालन की जिम्मेदारी दी गई अर्थात गायत्री शक्तिपीठ के प्रथम प्रबंधक दिवंगत दिवंगत राम सिंह मेहता रहे जो बेहद कर्मठ जुझारू और मां गायत्री के अनन्य भक्तों मैं एक से जिन्हें पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल जी का भरपूर सहयोग एवं सानिध्य मिला स्थानीय कुछ कार्यकर्ताओं के अलावा पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल दिन रात गायत्री शक्तिपीठ के विस्तार एवं भव्यता में लगे रहे उन्हीं के प्रयासों से गायत्री शक्तिपीठ एवं परिषर के अंतर्गत आवासीय भवन एवं मां भगवती विद्या निकेतन स्कूल बना निरंतर गायत्री शक्तिपीठ में आकर पूजा अर्चना करने वाले हरिश चंद्र दुर्गापाल द्वारा बराबर गायत्री शक्तिपीठ की व्यवस्थाओं का भी कुशलतापूर्वक संचालन किया गया और उन्होंने शक्तिपीठ को सुदृढ़ बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी

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उनके सक्रिय होने के बाद तमाम लोग भी समय दानी कार्यकर्ता अथवा अंशदानी कार्यकर्ता बनकर गायत्री शक्तिपीठ के विस्तारीकरण में उसकी मजबूती में दिन रात लगे रहे दिवंगत राम सिंह मेहता जो बेहद तत्वदर्शी और दूरदर्शी माने जाते थे उन्हें तब इस बात का एहसास हो गया था कि आज नहीं तो कल जिस स्थान पर गायत्री शक्तिपीठ है संभवत रोड का चौड़ीकरण होगा और दिक्कत आ सकती है लिहाजा उन्होंने गायत्री शक्तिपीठ के अलावा भी कहीं भूमि होने की आवश्यकता श्री दुर्गा पाल जी के सामने रखी पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल जी के अथक परिश्रम और सहयोग से लगभग 1 एकड़ जमीन खरीदी गई जहां आज गायत्री कुंज की स्थापना है गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री कुंज को श्री दुर्गा पाल जी का योगदान इस कदर है कि गायत्री शक्तिपीठ का हर कोई कार्यकर्ता इस बात से भलीभांति वाकिफ है इतना ही नहीं कुछ वर्ष पूर्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या जब हल्दूचौड़ आए तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस बात को कहा कि श्री दुर्गा पाल जी उनकी नजर में कैबिनेट मंत्री नहीं

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बल्कि उनके परिवार के अभिन्न अंग है जिसका वहां पर मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया मां गायत्री के उपासक श्री दुर्गापाल जी का परिवार भी पूरी तरह से गायत्री परिवार को समर्पित है और परम पूज्य गुरुदेव युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य से उनके सुपुत्रों को दीक्षा प्राप्त करने का गौरव हासिल है श्री दुर्गा पाल जी के बारे में यदि यह कहा जाए कि वह गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री कुंज के मजबूत स्तंभ रहे हैं तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी उम्र के इस पड़ाव में भी वे अक्सर गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री शक्ति कुंज में आते जाते रहते हैं तथा लोगों की कुशलक्षेम पूछते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान का हिस्सा भी बनते हैं आज गायत्री जयंती के महापर्व पर उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी थी वे अपरिहार्य कारणों से नहीं पहुंच पाए या फिर उन्हें सूचना नहीं थी इस पर तस्वीर साफ नहीं है

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