उत्तराखंड में भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर सरकार का कड़ा रुख

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उत्तराखंड में भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर सरकार का रुख कड़ा होने जा रहा है। अब कोई भी व्यक्ति यदि उत्तराखंड में भूमि खरीदेगा तो भूमि खरीदने के कारणों सहित उसकी पृष्ठभूमि का सत्यापन किया जाएगा।

आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने के साथ ही खरीद का उद्देश्य संतोषजनक पाए जाने पर ही भूमि खरीदने की अनुमति मिल सकेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस मामले को लेकर गंभीर होने के बाद शीघ्र ही नई व्यवस्था को कानूनी शक्ल देने की तैयारी है। मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। वन, नदी-नालों के किनारे और बस्तियों के इर्द-गिर्द सरकारी भूमि पर अवैध तरीके से मजारों के निर्माण को लेकर सरकार सख्ती बरतना प्रारंभ कर चुकी है।

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पूरे प्रदेश में ऐसे अतिक्रमण चिह्नित किए जा रहे हैं। चिह्नित किए जा चुके अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही चल रही है। अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से प्रदेश में भूमि की खरीद और बिक्री तेज हो चुकी है। इसमें अब और वृद्धि देखी जा रही है। अंदेशा है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति भूमि की खरीद-फरोख्त में संलिप्त हैं।

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सरकारी जमीनों पर अलग-अलग रूप में अवैध कब्जे भी किए गए हैं। सरकार इस स्थिति को आने वाले समय में कानून और शांति व्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में देख रही है। उत्तराखंड के निवासियों का स्वभाव शांत माना जाता है।

कानून व्यवस्था की स्थिति उत्तम होने का हवाला देकर सरकार यहां पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश भी भूमि खरीद-फरोख्त से जुड़े माफिया पर कड़ाई बरत रहा है। ऐसे में आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति उत्तराखंड का रुख कर सकते हैं। सरकार भविष्य में किसी भी अप्रिय स्थिति को देखते हुए अभी से कदम उठाने जा रही है।

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