कर्ज लेकर घी पी रही सरकार: कैग रिपोर्ट में खुलासा 66 हजार करोड़ का क़र्ज़, विकास दर धराशायी पर रेवड़ियां बांटते रहिए क़र्ज़ अगली पीढ़ियां चुका देंगी!

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देहरादून: चुनाव करीब हैं लिहाजा आए दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोई न कोई आर्थिक पैकेज बांटने की घोषणा कर रहे। मुख्यमंत्री धामी पिछले 40 दिनों में 700-750 करोड़ के चार पैकेज की घोषणा कर चुके हैं। जाहिर है बिना भ्रष्टाचार ज़रूरतमंद लोगों तक यह आर्थिक मदद पहुँचेगी तो फ़ौरी राहत ही सही लेकिन राहत मिलेगी। धामी सरकार की चुनाव से चार महीने पहले दिख रही यह दरियादिली एकबारगी यह भ्रम भी पैदा करती है कि राज्य की आर्थिक तौर पर तंदुरुस्त है। जबकि हकीकत बिलकुल इसके उलट है और वित्त वर्ष 2019-20 को लेकर आई कैग की रिपोर्ट इसकी तस्दीक़ करती है। उसके बाद तो कोरोना ने आर्थिक सेहत और बिगाड़ने का ही काम किया है।

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कैग की रिपोर्ट राज्य सरकार के कर्ज लेकर घी पीने की हकीकत को बेपर्दा कर देती है। कैग रिपोर्ट खुलासा करती है कि 31 मार्च 2020 तक उत्तराखंड सरकार करीब 66 हज़ार (65,982) करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ से दब चुकी थी। चिन्ताजनक तथ्य यह है कि पिछले पांच सालों में जब राज्य में डबल इंजन सरकार रही है घटने की बजाय कर्ज का मर्ज बढ़ता गया है। जबकि राज्य की जीडीपी विकास दर धराशायी होने की कगार पर पहुंच गई। बावजूद इसके कर्ज लेकर घी पीना जारी रहा है।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। सरकार को कर्ज का शौक ऐसा चढ़ा कि वित्त वर्ष में पर्याप्त नगद राशि होने के बावजूद अप्रैल, जुलाई, अगस्त, सितंबर और दिसंबर में खुले बाजार से महँगी दरों पर कर्जा लिया गया जबकि इसकी कतई दरकार नहीं थी। यानी जीरो टॉलरेंस दौर में मुक्त हाथों से कर्ज बंटोरना जारी रहा और यह क्रम आज भी जारी है। जबकि इस दौरान विकास दर (SDGP) धराशायी होती चली गई।

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कैग रिपोर्ट के अनुसार विकास दर
सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी SDGP दर 2015-16 में 9.74 फीसदी थी
2017-18 में SDGP की दर सबसे उच्च स्तर पर 14.20 फीसदी रही थी
2019-20 में 3.16 फीसदी पर लुढ़क गई

कांग्रेस सरकार के समय 2016-17 में राज्य पर कर्ज 44,583 करोड़ रु था जो 2017-18 में 51,831 करोड़ और 2019-20 में 65,982 करोड़ पर पहुंच गया।

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