कद साढ़े तीन फीट, लेकिन हौसला आसमान जैसा! लच्छू पहाड़ी ने जीत से बदली राजनीति की तस्वीर

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लक्ष्मण कुमार उर्फ लच्छू पहाड़ी ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव में बागेश्वर ज़िले के गरुड़ ब्लॉक से बीडीसी पद पर जीत हासिल की. छोटे कद के बावजूद उनका हौसला और जनसेव…और पढ़ें

लच्छू पहाड़ी ने गरुड़ ब्लॉक से बीडीसी पद पर जीत हासिल.

लच्छू पहाड़ी का कद साढ़े तीन फीट, लेकिन उनका हौसला बड़ा है.

लच्छू पहाड़ी ने 118 वोटों से शानदार जीत दर्ज की.

बागेश्वर: उत्तराखंड पंचायत चुनाव में इस बार एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा- लक्ष्मण कुमार उर्फ लच्छू पहाड़ी. वजह है उनका कद, जो सिर्फ साढ़े तीन फीट है. लेकिन इस छोटे कद के पीछे छुपा है एक बड़ा हौसला जिसकी बदौलत उन्होंने बागेश्वर ज़िले के गरुड़ ब्लॉक के गढ़खेत क्षेत्र से बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) (Uttarakhand Panchayat Chunav 2025) पद पर न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि पूरे प्रदेश में एक मिसाल भी कायम की.

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कद साढ़े 3 फीट..हौसला आसमान जैसा!लच्छू पहाड़ी ने जीत से बदली राजनीति की तस्वीर

उनकी यह जीत यह साबित करती है कि राजनीति में न चेहरा मायने रखता है, न कद. अगर हौसला और जनसेवा का जज़्बा हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान हो जाता है. छोटे कद के बावजूद लच्छू ने चुनाव में जिस आत्मविश्वास से भाग लिया, वह हर किसी को प्रेरित कर रहा है.

ऐसा रहा चुनावी मुकाबला

गढ़खेत क्षेत्र से लच्छू पहाड़ी को कुल 348 वोट मिले. जबकि, उनके प्रतिद्वंदी कैलाश राम को 230 वोट, पप्पू लाल को 227 वोट और प्रताप राम को 181 वोट हासिल हुए. लच्छू ने 118 वोटों से शानदार जीत दर्ज की. यह नतीजा सिर्फ जीत नहीं, बल्कि समाज में आत्मविश्वास और संघर्ष का मजबूत संदेश भी है.

हास्य कलाकार से जनप्रतिनिधि तक का सफर

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लच्छू पहाड़ी कुमाऊंनी फिल्मों और मंचों पर बतौर हास्य कलाकार लंबे समय से लोगों का दिल जीतते आए हैं. वे एक साधारण परिवार से आते हैं और उत्तराखंड की लोकसंस्कृति से भी उनका गहरा जुड़ाव है. अब उन्होंने अभिनय के बाद राजनीति में भी अपनी नई पहचान बना ली है. उनका चुनाव जीतना यह बताता है कि एक कलाकार भी जनता के विश्वास और सेवा भावना के दम पर नेतृत्व कर सकता है.

लच्छू के चुनावी प्रचार का अनोखा अंदाज़

उत्तराखंड पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान लच्छू पहाड़ी ने किसी बड़े मंच, भाषण या खर्चीले प्रचार का सहारा नहीं लिया. वे कभी घोड़े पर बैठकर गांव-गांव गए तो कभी गाते-बजाते लोकशैली में लोगों से सीधे संवाद किया. यही सादगी और अपनापन उनके प्रचार की सबसे बड़ी ताकत बनी. लोगों से उनका जुड़ाव इतना गहरा था कि वे सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि उनके समर्थक बनते चले गए

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हौसला ही असली पहचान

लच्छू पहाड़ी का कहना है कि कद छोटा हो सकता है, लेकिन हौसले कभी छोटे नहीं होते. उन्होंने कहा कि जनता ने जो जिम्मेदारी उन्हें दी है, वे उसे पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभाएंगे. उनका संकल्प है कि वे क्षेत्र की हर आवाज बनकर लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करेंगे.

राजनीति में नई मिसाल

अब तक प्रदेश में किसी भी स्तर पर इतने छोटे कद के प्रत्याशी ने चुनाव नहीं लड़ा था. लच्छू पहाड़ी ने यह साबित कर दिया कि राजनीति में दिखावे या शरीर की बनावट से ज्यादा जरूरी होती है सच्चाई, मेहनत और लोगों से रिश्ता. उनकी जीत उन तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो आत्मविश्वास के साथ बदलाव लाना चाहते हैं

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